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बुकर के लिए अंतिम तौर पर चयनित किताबों में रेत की समाधि भी

अश्रुत पूर्वा II

नई दिल्ली।  लेखिका गीतांजलि श्री का उपन्यास ‘रेत की समाधि’ एक बार फिर चर्चा में है। बुकर पुरस्कार के लिए अंतिम छह चयनित किताबों में यह हिंदी भाषा की पहली कृति बन गया है। लेखिका का यह उपन्यास मूल रूप से हिंदी में रेत की समाधि शीर्षक से छपा था। इसका अंग्रेजी अनुवाद डेजी राकवेल ने किया है, जिसे ‘टॉम्ब आफ सैंड’ के नाम से प्रकाशित किया गया था।

बुकर के निर्णायक मंडल के सदस्यों ने गीतांजलि के उपन्यास को अनूठा बताया है। पचास हजार पाउंड के इस साहित्यिक पुरस्कार के लिए पांच अन्य किताबों से अब इसका मुकाबला होगा। पुरस्कार की राशि लेखिका और अनुवादक के बीच बांट दी जाएगी।

  • इस साल 26 मई को लंदन में होने वाले पुरस्कार समारोह में हिस्सा लेने की उम्मीद कर रही 64 साल की इस लेखिका ने कहा, पहले उन्होंने मुझे लंबी सूची में रखा और अब शॉर्टलिस्ट में… बेशक इसे आत्मसात करने में थोड़ा समय लगता है।

गीतांजलि श्री ने कहा है कि बुकर की खास पहचान है। इसकी उम्मीद नहीं कर रही थी। इसलिए मेरे लिए एक  आश्चर्य है और हमारे काम के लिए मान्यता है। इस साल 26 मई को लंदन में होने वाले पुरस्कार समारोह में हिस्सा लेने की उम्मीद कर रही 64 साल की लेखिका ने कहा, पहले उन्होंने मुझे लंबी सूची में रखा और अब शॉर्टलिस्ट में… बेशक इसे आत्मसात करने में थोड़ा समय लगता है।

लंदन पुस्तक मेले में घोषित अन्य चयनित पांच किताबों में बोरा चुंग द्वारा ‘कर्स्ड बनी’ भी शामिल है। कोरियाई से एंटोन हूर ने इसका अनुवाद किया है। इसके अलावा जान फासे का ‘ए न्यू नेम: सेप्टोलॉजी’ भी इस दौड़ में है जिसे नार्वे की भाषा से डेमियन सियर्स ने अनुवाद किया है। इसके अलावा मीको कावाकामी की किताब ‘हेवेन’ भी इस सूची में है जिसे जापानी से सैमुअल बेट और डेविड बायड ने अनुवाद किया है। क्लाउडिया पिनेरो के ‘एलेना नोज’ का अनुवाद स्पेनिश से फ्रांसिस रिडल ने किया है और ओल्गा टोकाजर्क के लिखे ‘द बुक्स आफ जैकब’ को पोलिश भाषा से जेनिफर क्राफ्ट ने अनुवाद किया है। (स्रोत : एजंसी)       

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