अभिप्रेरक (मोटिवेशनल)

अपने आसपास खुशियां बांटना भी सीखिए जनाब

फोटो साभार:पिक्सल्स.काम

अश्रुत पूर्वा II

नई दिल्ली। खुशी जीवन के लिए बेहद जरूरी है। याद कीजिए कि महामारी के दौरान, यह गूगल पर सबसे अधिक खोजा जाने वाला शब्द बन गया था। लेकिन खुशी की तलाश में भटकना ठीक नहीं। क्योंकि यह कोशिश हमें आत्मकेंद्रित बना देती है। खुशी की खोज दूसरों की कीमत पर होने लगे तो यह खतरनाक है। तेज रफ्तार में गाड़ी चलाना अपको खुशी दे सकता है मगर यह दूसरों की जान खतरे में डाल सकता है। यह आत्मकेंद्रित भावना दूसरों के बारे में अच्छी तरह से न सोचने के साथ-साथ सुख की खोज करने वालों को और भी एकाकी बना देती है।

हम प्राय: खुद को खुश करने पर ध्यान केंद्रित करते हुए, खुशी के मूल सिद्धांत को भूल जाते हैं, जो कहता है कि सच्ची खुशी दूसरों को खुश करना और खुद से परे देखना है। यही सच है। कितना अच्छा हो कि आप अपने आसपास खुशियां बांटें। चाहे वह छोटी-छोटी खुशी क्यों न हो।

जो लोग किसी भी खुशी रैंंिकग में ज्यादा नंबर लाते हैं, वे बेहतर समाज बनाने के पक्षधर होते हैं मिसाल के लिए, जरूरत पड़ने पर दूसरों की मदद करना और बदले में समय आने पर आपको भी सहायता मिलना। सच तो ये है कि सार्थक जीवन वही जीते हैं, जो समाज को बेहतर बनाने में योगदान देते हैं। सकारात्मक भावना रखें तो अक्सर दूसरों की संगति अच्छी लगती है।  क्या आप जानते हैं कि हम एक समूह में एकांत की तुलना में 30 गुना अधिक बार मुस्कुराते हैं।

जितना अधिक हम खुशी को महत्व देते हैं, उतनी ही अधिक संभावना है कि हम अपनी वर्तमान स्थितियों से निराश होंगे। इससे भी बदतर ये कि हम खुशी पाने के लिए जितने अधिक हताश हो जाते हैं, उतनी ही अधिक संभावना है कि हम अवसाद के लक्षणों का अनुभव करेंगे।

… तो केवल सुख की खोज में लगे रहना ही दुख की वजह है। खुद पर ध्यान केंद्रित करने और खुश रहने की चाहत हमारी खुशी का अनुभव करने की संभावना को कम कर देती है। इससे हमें यह अहसास हो सकता है कि हम दुखी हैं। यह विचार कि हमें इसकी तलाश करनी चाहिए, हमारे जीवन में खुशी की अनुपस्थिति को उजागर कर सकता है। जितना अधिक हम खुशी को महत्व देते हैं, उतनी ही अधिक संभावना है कि हम अपनी वर्तमान स्थितियों से निराश होंगे। इससे भी बदतर ये कि हम खुशी पाने के लिए जितने अधिक हताश हो जाते हैं, उतनी ही अधिक संभावना है कि हम अवसाद के लक्षणों का अनुभव करेंगे।

हम सभी को खुश रहना चाहिए और इसे हासिल करना आसान है, हमें ऐसा महसूस करा सकता है कि जो लोग खुश नहीं हैं उनके साथ कुछ गड़बड़ है, जिससे और परेशानी हो सकती है। खुशी के प्रति हमारे जुनून ने ऐसे उद्योग को जन्म दिया है जो हमें खुश करने के लिए तरह तरह के उत्पाद तैयार करता है। यह सिर्फ एक कारण है कि क्यों खुशी पर संकीर्ण ध्यान हानिकारक हो सकता है। गरीबी में किसी को खुश हो जाओ कहने से ये शब्द बेमानी लग सकते हैं इसके बजाय उसकी भलाई पर ध्यान दें। क्यों नहीं दूसरों की भलाई के साथ अपने लिए भी सोचें।

यहां खुश रहने के तरीके हो सकते हैं। जैसे सुनिश्चित करें कि आप अपनी और उन लोगों की बुनियादी जरूरतों को पूरा कर सकते हैं जिनकी आप परवाह करते हैं। ऐसी गतिविधियों के लिए नियमित रूप से समय निकालें जिनसे आपको आनंद मिलता है, जैसे पैदल चलना, खेल खेलना या कुछ देखना या सुनना जो आपको पसंद है। सकारात्मक संबंध बनाएं और उन्हें बनाए रखने के लिए प्रयास करें। दोस्तों से मिलें, परिवार के सदस्यों के संपर्क में रहें, अपने कार्य संबंधों को और अच्छा करें। जो भी व्यक्ति आपके जीवन को सार्थक बनाता है उससे जुड़े रहें।  (स्रोत : एजंसी इनपुट)

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