कविता काव्य कौमुदी

एक दिन मैं खुद को खत लिखूंगी

अमनदीप ‘विम्मी’ II

एक दिन मैं खुद को खत लिखूंगी
ज़माने भर के नकारा
सिद्ध करने के बावजूद
जताऊंगी खुद पर भरोसा…

मजबूती से रखूंगी कदम
दरवाज़ों की सरहदों के पार
गढूंगी एक नया आकाश…

यह जतलाए जाने के बावजूद
कि चेहरा थोड़ा सा गोल
गर्दन सुराहीदार
होंठों को गुलाबी और नरम
आंखों को थोड़ा और बड़ा, और गहरा
रंग ज़रा सा और साफ होना चाहिए था
बताऊंगी स्वयं को
कि कितनी सुंदर हूं मैं…

फटी बिवाइयों और
रिसते ज़ख्मों को ढाल बना
दूंगी हौसला चलने का खुद को…

जी उठूंगी फिर से
फीनिक्स बन
एक दिन बताऊंगी दुनिया को
अपनी राख से बार बार
पैदा हो सकती हूं मैं…!!

फोटो- साभार गूगल

About the author

Amandeep Gujral

अमनदीप गुजराल
उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में जन्मी अमनदीप गुजराल ‘विम्मी’ की प्रारंभिक शिक्षा बालको (छत्तीसगढ़) के केंद्रीय विद्यालय में हुई। लिखने का क्रम आठवीं कक्षा से शुरू हुआ, जो प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं एवं साझा काव्य संकलनों से गुजरता हुआ संग्रह (ठहरना जरूरी है प्रेम में) के रुप में सामने आया है। वे कहानियां भी लिखती हैं। एमकॉम तक शिक्षा प्राप्त अमनदीप नवी-मुंबई में निवास करती हैं। लेखन उनके लिए उम्मीद की किरण है। श्रद्धा है, एक सतत प्रयास है।

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