संध्या यादव II
1) मैंने पूछा उससे-
“सन्नाटा भी बोलता है क्या?”
उसने अपने होंठ रख दिये
मेरी पलकों पर और कहा
“सुनो…सन्नाटा भी बोलता है।”
2) इक रोज़ मेरी परछाईं
आ बैठी पास मेरे सन्नाटा पा
बोली-“एक बात कहूँ,
बुरा मत मानना,
और कोई नहीं तेरा-मेरे सिवाय।”
3 ) नीम से झरते हैं सन्नाटे
आम-जामुन से बतियाता है
“दूर-दूर दिखते नहीं बच्चे अब,
होला-पाती को मोबाइल ने मार ही डाला”
4 ) सन्नाटा घुटने पर चलता आया था
फिर पाँव मोड़कर
ज़िंदगी की दहलीज पर
बैठ गया सुस्ताने…
5 ) सूरज की रोशनी के साथ
छिपकर आता है
शाम देर तक सोफे पर बैठा रहता है
अँधेरे से डरता बहुत है
रात होते ही सन्नाटा
बिस्तर पर संग पसर जाता है।