अश्रुतपूर्वा II
नई दिल्ली। गंगा नदी के किनारे बसा वाराणसी यानी काशी भारत के पवित्र स्थलों में से एक है। काशी की याद आते ही इसके किनारे बहती गंगा आंखों के आगे तैर जाती है। घाट पर गंगा आरती और शंख की ध्वनि कानों में गूंजने लगती है। शताब्दियों से हिंदू काशी को अपनी मोक्ष प्राप्ति का स्थल मानते रहे हैं। काशी एक संस्कृति ही नहीं एक धरोहर भी है। यह हमारे जनमानस में बसती है।
यह शहर बनारसी सिल्क, बनारसी पान और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के लिए के भी प्रसिद्ध है। बनारस शक्तिपीठ भी है और भारत के 12 पवित्र च्योर्तिलिंगों में से एक है। हिंदू शास्त्रों का मत है कि जिन लोगों की मृत्यु के बाद उनकी अस्थियां यहां विसर्जित कर दी जाती हैं, वे सीधे मोक्ष को प्राप्त करते हैं। बनारस देश के मुख्य पर्यटक स्थलों में से एक है। यहां देश और विदेश से पर्यटक हर साल बड़ी संख्या में आते हैं। बता दें कि दस लाख से भी ज्यादा लोग हर साल वाराणसी आते हैं। वे यहां की संस्कृति को जानना चाहते हैं। वे वाराणसी की सुंदरता को निहारते हुए यहीं रच-बस जाना चाहते हैं। प्राय: लोग इसे दिल में रख कर लौटते हैं।
वाराणसी का इतिहास
एक किंवदंती के अनुसार काशी की खोज भगवान शिव ने की थी। इसी वजह से इसे शिव की आराधना का स्थल भी माना जाता है। कई धर्मग्रंथ जैसे ऋग्वेद, स्कंद पुराण, रामायण और महाभारत में इस शहर का उल्लेख किया गया है। कहा जाता है कि बनारस इस संसार का सबसे पुराना शहर है। इसके किनारे बहती पवित्र गंगा में डुबकी लगाने मात्र से मनुष्य के पाप धुल जाते हैं।
वाराणसी को व्यापारिक स्थल भी माना जाता है। कहते है कि यहां किया गया कोई भी कार्य जैसे दान-पुण्य या मंत्र-जाप जीवन में फलदायी होता है। क्योंकि यहां की शक्ति ही कुछ ऐसी है। भगवान शिव की स्थली वाराणसी के बारे में यह भी कहा जाता है कि अगर कोई मनुष्य यहां तीन रात का व्रत रख ले, तो उसे उतना पुण्य मिल जाएगा, जितना वह जीवन भर तपस्या कर के नहीं पाएगा।
काशी की यात्रा एक आत्मीय यात्रा है। यह शहर आपको स्वयं पुकारता है और आप चल देते हैं। काशी एक संस्कृति ही नहीं एक धरोहर भी है। यह हमारे जनमानस में बसती है। वाराणसी यानी काशी मुख्य रूप से मंदिरों और घाटों का शहर है। भगवान शिव को समर्पित यहां अनेकानेक मंदिर हैं। इनमें सबसे प्रमुख ज्योर्तिलिंग विश्वनाथ मंदिर है।
मंदिरों का शहर काशी
वाराणसी यानी काशी मुख्य रूप से मंदिरों और घाटों का शहर है। भगवान शिव को समर्पित यहां अनेकानेक मंदिर हैं। इनमें सबसे प्रमुख ज्योर्तिलिंग विश्वनाथ मंदिर है। महाशिवरात्रि के समय तो इस शहर पर बनारसी रंग चढ़ जाता है। लोगों में उमंग देखने योग्य होता है। कहते हैं कि यहां का विशालाक्षी मंदिर, वही स्थल है जहां माता सती के शरीर के अवशेष गिरे थे। वाराणसी न केवल हिंदुओं का बल्कि बौद्ध और जैन धर्म के लोगों के लिए भी बेहद महत्त्वपूर्ण स्थल है। इस शहर ने हमें कई महान संत और लेखक-कवि दिए। जैसे- गौतम बुद्ध, भगवान महावीर, कबीर, तुलसीदास, शंकारचार्य, रामानुज और छायावाद के सबसे बड़े कवि सुमित्रानंदन पंत।
एक सम्मोहक शहर
वाराणसी एक सम्मोहक शहर है। यहां पर्यटक स्वयं खिंचे चले आते हैं। वाराणसी से थोड़ी दूरी पर सारनाथ है, जहां गौतम बुद्ध ने पहली बार बौद्ध धर्म के बारे में बताया। वाराणसी में लगभग सौ घाट हैं। काशी नरेश का शिवाला या काली घाट को कौन नहीं जानता। लोग बड़ी संख्या में यहां आते हैं। ज्योर्तिलिंग होने के कारण यहां महाशिवरात्रि और सावन के महीने में पूजा-पाठ और भजन-कीर्तन का अलग ही आनंद है। यह आनंद नहीं सच्चिदानंद है। वाराणसी सिल्क, यहां के आभूषण, लकड़ी के बने सामान और कई तरह के अद्भुत मुखौटे यहां की खरीदारी में चांद लगा देते हैं।
वाराणसी से 14 किलोमीटर दूर है रामनगर किला। यहां बनारस के राजा का घर हुआ करता था। इसे महाराजा बलवंत सिंह ने 18वीं सदी में बनवाया था। किंवंदती है कि वेद व्यास जी यहां काफी समय के रुके थे। उन्हीं को समर्पित यहां मंदिर भी बनवाया गया था।
कब और कैसे जाएं काशी
काशी की यात्रा एक आत्मीय यात्रा है। यह शहर आपको स्वयं पुकारता है और आप चल देते हैं। यों आप साल भर में कभी भी यहां जा सकते हैं। गर्मियों में यहां यहां शाम के समय शीतलता अहसास होता है। मगर सर्दियों में यह शीतलता बढ़ जाती है। इसलिए यहां जब उस समय जाएं तो गर्म कपड़े साथ रखें। वाराणसी सड़क और रेल मार्ग से जुड़ा है। आप वायुमार्ग से भी जा सकते हैं। आप यहां किसी भी शहर से आसानी से पहुंच सकते है।
दिल्ली से यह करीब 780 किलोमीटर दूर है। यहां से कई रेलगाड़ियां वाराणसी जाती हैं। बनारस के मंदिरों में जाकर, यहां के गंगा घाट को देख कर और यहां के व्यंजन चख कर मानो मन तृप्त हो जाता है। मन की शांति के लिए आप अवश्य जाएं। इसके बाद तो आप दोबारा जरूर जाना चाहेंगे। वंदे भारत एक्सप्रेस ने वाराणसी की यह यात्रा और सुखद बना दी है। काशी आपको पुकार रही है।