राधिका त्रिपाठी II
बेहद साधारण नैन-नक्श। कुछ खास पहचान नहीं। बस घरेलू सी। वह सुबह से लेकर शाम तक खाना बनाती। सफाई के अलावा घर के लोगों की सेवा करती। सारे व्रत-उपवास भी करती। बेहद सादगी भरी जिंदगी। कोई बनावटीपन नहीं। जिंदगी बस ऐसे ही गुजर रही थी। कुछ नया नहीं। उम्र लगभग पचास साल होने को आए। एक दिन सुबह अचानक डाकिया एक लिफाफा सुनील के हाथ में पकड़ा गया।
सुनील ने देखा, पता तो उसी के घर का है, लेकिन नाम उसकी पत्नी का लिखा हुआ है। तभी वह आवाज देता है, सुनो… तुम्हारा कोई पत्र आया है। सुनीता बोली, अब इतने सालों में मुझे कौन पत्र लिखने लगा। लगता है गलत पते आ गया है। सुनील तब तक पत्र खोल चुका था। पत्र के साथ प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री के कागजात भी थे जो सुनीता के नाम हो चुकी थी। सुनील अभी सोच ही रहा था कि अचानक सुनीता बोल पड़ी, क्या लिखा है? सुनील बोला, किसी ने तुम्हारे नाम अपनी सारी जायदाद कर दी है। कौन है ये तुम्हारा?
सुनीता बोली, नाम क्या लिखा है, किसने लिखा है? सुनील बोला, कोई समर है जो अब इस दुनिया में नहीं रहा और उसने अपनी सारी संपत्ति तुम्हारे नाम कर दी है। समर का नाम सुनते ही सुनीता वही धम्म से जमीन पर बैठ गई। सुनील के बार-बार पूछने पर उसने बताया कि उसके मायके में आठ घर छोड़ कर समर रहता था। और वह उसको बहुत पसंद करता था। सुनील ने पलट कर पूछा, और तुम भी पसंद करती थी क्या?
इस बात पर सुनीता बोली कि स्त्री कुछ रिश्ते बिना रिश्ते के भी ताउम्र निभा लेती है। समर मेरे लिए प्यार में पागल था। यह बात सुनीता अच्छे से जानती थी। अगर वह मना कर देती कि वह प्यार नहीं करती, तो शायद वह जिंदा नहीं रहता। इसलिए उसे बोल दिया था कि शादी कहीं भी हो, तुम जब भी पुकारोगे मैं आऊंगी मिलने।
…यह सुनते ही सुनील का खून खौल उठा। वह सुनीता को भला-बुरा बोलने लगा। उसने पत्र और रजिस्ट्री के कागजात सुनीता के मुंह पर फेंक दिए। इस पर सुनीता बोली, ऐसे और भी कई आशिक है मेरे, लेकिन मैं प्यार सिर्फ अपने पति से करती हूं। यानी तुमसे करती हूं। मगर मेरा कुछ फर्ज उनके लिए भी है जिनहोंने बिना स्वार्थ मुझसे प्रेम किया, सम्मान दिया। सुनीता कागजात उठा कर उस घर से निकल पड़ी, जहां आज तक गेट पर लगी नेम प्लेट में कभी उसका नाम नहीं लिखा गया। जबकि वह आज करोड़ों की संपत्ति की मालकिन थी।
उधर, सुनील बैठे-बैठे सोच रहा था कि इस निठल्ली औरत को कौन प्यार कर सकता है एक नहीं वो भी कई…!! ऐसा कुछ तो मुझे आज तक नहीं दिखाई दिया जो इसके प्रेमियों को दिखाई दे दिया। ऐसा क्या था सुनीता में??