राधिका त्रिपाठी II
एकाएक उसे लगा कि उसके पैरों तले जमीन खींच ली हो किसी ने। तिनका-तिनका बटोर कर उसने जो घरौंदा बनाया था, वह पंद्रह सालों में अचानक ही भरभरा कर गिर गया। और वह विलाप भी नहीं कर सकती थी। वो टूटन वह खुद में ही समेटे हुए बच्चों के साथ खिलखिलाती, हंसती और रोज की तरह दैनिक काम में व्यस्त हो जाती। लेकिन अकेले में उसे कई सवाल घेर लेते, वह जान ही नहीं पाई कि उसके प्यार में कहां कमी रह गई। उसका पति कब किसी रूपसी पर मोहित हो गया, पता ही नहीं चला। उसने ध्यान नहीं दिया कि जो हर समय उसका नाम लेते नहीं थकता था। वह अब कटा हुआ रहता। उससे दूर जाने के बहाने ढूंढता। रात को आॅफिस से देर से आता। आते ही खाना खा कर मुंह घुमा कर सो जाने का नाटक करता।
वह ज्यादा समय बाहर बिताता। फोन पर हर समय व्यस्त रहता। पूछने पर बताता क्लाइंट का फोन आया था। बात हो रही थी। पति की व्यस्तता देख कर वह और उसका ध्यान रखती। लेकिन कुछ समय बाद पति ने एक दिन कहा, सुनो तुमसे कुछ बात करनी है। छत पर चलो। … वह साथ गई। तब उसे बताया कि एक लड़की है। मैंने आॅफिस में काम पर रखा है मुझे उससे लगाव है। कल उसने मुझे धमकी दी है कि पुलिस में शिकायत करेगी। उसने मासूमियत से पूछा, शिकायत किस बात की?
पति बोला कि पैसे की डिमांड पूरी नहीं होने पर ऐसा कह रही है। कल उसके पापा घर आने के लिए बोले है। उसने कहा, वो क्यों आएंंगे?
पति बोला तुमसे बात करेंगे…! सुबह हुई। रुपसी के पिता आए और उसके पति पर उन्होंने तमाम आरोप लगाए। पुलिस में जाने की धमकी देकर जाने लगे तो उसने कहा, आप जहां मिलना चाहें मैं वहां मिल लूंगी आपसे। रही बात मेरे पति की तो उन्हें जानने के लिए मुझे दूसरों से पूछने की जरूरत नहीं। वो कैसे है मैं बेहतर जानती हूं…!!
इस बात के पूरे तीन साल बाद उसका पति घर में रुचि लेने लगा। सभी जिमेदारियां निभाने की कोशिश में जुट गया। एक रात वह उसके कमरे में आया उसे गले लगाया बड़े प्यार से। और स्पर्श करने लगा…। वह उठी। लाइट जला कर बोली, मुर्दे के साथ संबंध नहीं बनाया जा सकता। संबंध तो आत्मा का रिश्ता है। थोड़ी देर बाद वह अजीब सी गंध से भर गई। उसके पति का अब सांस लेना मुश्किल हो गया था। वह दरवाजा खोला और बाहर निकल गया।
सुबह सुबह सभी को वही गंध नाक में आने लगी। तभी आरती की घंटी बजाते हुए वह आई और बोली, प्रसाद नहीं लेंगे आप लोग?