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मिट्टी की मूर्तियां बनाने के लिए बनेगा शिल्पग्राम

अश्रुत पूर्वा II

नई दिल्ली। जयपुर से लोक संस्कृति और कला प्रेमियों के लिए एक सुखद खबर। मिट्टी से लोक देवी-देवताओं की मूर्तियां बनाने के लिए विख्यात राजस्थान के मोलेला गांव में अब शिल्पबाड़ी बनाई जाएगी। शिल्पबाड़ी यानी शिल्पग्राम। राजस्थान सरकार ने शिल्पग्राम की स्थापना और दूसरे कार्यों के लिए 2.55 करोड़ रुपए के बजट को मंजूरी दी गई है।
सरकार के इस निर्णय से मोलेला के शिल्पकर्मी न सिर्फ अपनी कलाकृतियों का प्रदर्शन और बिक्री कर सकेंगे, बल्कि भावी पीढ़ियों को भी इस कला का प्रशिक्षण दे सकेंगे। उम्मीद जताई जा रही है शिल्पग्राम की स्थापना से युवाओं में कला के प्रति रूझान बढ़ेगा। उन्होंने बताया कि शिल्पबाड़ी में सेमिनार हॉल, प्रदर्शनी हॉल, कैफेटैरिया और दूसरी कई सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।
कला के लिए विख्यात मोलेला गांव राजसमंद की खमनोर तहसील में है। यहां के मृण शिल्पकार लोक देवी-देवताओं का मिट्टी में रूपांकन करते हैं। इसे मेवाड़ के साथ ही गुजरात और मध्य प्रदेश की सीमाओं पर बसे आदिवासी गांव के लोग खरीदते हैं। वे इन मूर्तियों को गांव के देवघरों में विधि-विधान से स्थापित करते हैं। इन मूर्तियों की खरीद अब घरों में सजावट के लिए भी हो रही है। बदलते परिवेश में कलाप्रेमियों की पसंद के मुताबिक कलाकारों ने आधुनिक कलाकृतियों का निर्माण भी शुरू कर दिया है।
टेराकोटा कला राजस्थान की प्रसिद्ध हस्तकलाओं में से एक है। लाल मिट्टी को पका कर सजावट का सामान बनाने की कला टेराकोटा कला कहलाती है। मिट्टी की फड़ और मांदल नामक वाद्य यंत्र मोलेला गांव में ही बनते हैं। मोलेला गांव के शिल्पकार देश में ही नहीं पूरी दुनिया में अपनी कला को अविस्मरणीय बना चुकेहैं। इमने से कुछ कलाकारों को पद्मश्री सहित अन्य राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।

कला के लिए विख्यातमोलेला गांव के मृण शिल्पकार लोक देवी-देवताओं का मिट्टी में रूपांकन करते हैं। इसे मेवाड़ के साथ ही गुजरात और मध्य प्रदेश की सीमाओं पर बसे आदिवासी गांव के लोग खरीदते हैं।

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