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बेकार चीजों से मुखौटे बनाने वाला कलाकार संजय भोला ‘धीर’

अश्रुतपूर्वा II

वे कमाल के कलाकार हैं। पुरानी और टूटी-फूटी कोई भी चीज मिल जाए, उससे वे मुखौटे बना देते हैं। मुखौटे भी एक से बढ़ कर एक। वे अपनी कला में विविध प्रकार के धातु जैसे पुराने कलपुर्जे, मेटल शीट, जालियां, तार, टिन के डिब्बे, स्प्रिंग, पुराने बर्तन, टूटे आभूषण, चेन, कीलें, स्क्रू आदि का प्रयोग करते हैं। उनका मानना है कि इस संसार में कुछ भी बेकार नहीं है। हर किसी चीज का दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है।
कलाकार हैं- संजय भोला ‘धीर’ जो मुखौटा कलाकार के रूप में जाने जाते हैं। उनकी कलाकारी की सबसे रोचक बात यह है कि वे स्क्रैप मेटल से मुखौटे बनाते हैं। वे विभिन्न जातियों, जनजातियों व देश-विदेश के रीति-रिवाजों और अनुष्ठानों से जुड़े मुखौटे बनाने के अलावा ऐसे अमूर्त विषयों को भी अपनी कला का हिस्सा बनाते हैं जो मानवता के नाम संदेश देने में अपनी सार्थक भूमिका निभा रहे हैं।
संजय भोला ‘धीर’ को उनकी कलात्मक अभिरुचियों के लिए वर्ष 2021 में इंडिया बुक आफ रिकॉर्ड से सम्मानित किया गया। साल 2022 में वे ‘वर्ल्ड रिकॉर्ड यूनिवर्सिटी, यूनाइटेड किंगडम की ओर से ‘टॉप 100 वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर्स में भी शामिल किए गए।
संजय के बनाए मुखौटे अलौकिक प्राणियों, देवी-देवताओं, पूर्वजों व काल्पनिक आकृतियों पर आधारित होते हैं। वे सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं जिनके जरिए संस्कृतियां अपनी पहचान विकसित करती हैं। संजय इन मुखौटों के माध्यम से अपनी आंतरिक व बाहरी रचनात्मकता व्यक्त करते हैं।
वे अपनी कला में विविध प्रकार के मेटल पार्ट्स जैसे पुराने कलपुर्जे, मेटल शीट, जालियां, तार, टिन के डिब्बे, स्प्रिंग, पुराने बर्तन, टूटे आभूषण, चेन, कीलें, रिपट व स्क्रू आदि का प्रयोग करते हैं। उनका मानना है कि इस संसार में कुछ भी वेस्ट नहीं है। हर किसी चीज का पुन: इस्तेमाल किया जा सकता है।
संजय समय-समय पर राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कला प्रदर्शनियों में अपने मुखौटों का प्रदर्शन करते रहते हैं। महाराष्ट्र के राज्यपाल श्री भगत सिंह कोश्यारी, तस्लीमा नसरीन, लक्ष्मी अग्रवाल, अभिनेता मानव कौल, शर्मिला टैगोर, सतीश कौशिक व यशपाल शर्मा सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उनके कार्य की सराहना कर चुके हैं। वे कला के विविध माध्यमों के अतिरिक्त फोटोग्राफी, घुमक्कड़ी और रचनात्मक लेखन में विशेष अभिरुचि रखते हैं।
संजय अपनी कला को केवल तीन शब्दों में बयान करते हुए कहते हैं-स्क्रैप टू स्कल्प!

संजय भोला ‘धीर’ अपनी कला में विविध प्रकार के मेटल पार्ट्स जैसे पुराने कलपुर्जे, मेटल शीट, जालियां, तार, टिन के डिब्बे, स्प्रिंग, पुराने बर्तन, टूटे आभूषण, चेन, कीलें, रिपट व स्क्रू आदि का प्रयोग करते हैं। उनका मानना है कि इस संसार में कुछ भी वेस्ट नहीं है।

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