अश्रुत पूर्वा संवाद II
नई दिल्ली। साहित्य के साथ कला का भी समन्वय हो जाए तो रेखाएं बोलने लगती हैं। संवेदनाएं कैनवस पर उतरने लगती हैं। कलाकार कवि हो तो वह अपने शब्दों को चित्रों में ढाल लेता है। विगत कई बरसों से यही प्रयास ज्योति आर्य कर रही हैं। शब्दों और चित्रों में खुद को जिस सहजता से अभिव्यक्त कर लेती हैं। यह दुलर्भ है दूसरे रचनाकारों के लिए। एक बार में वह एक ही भूमिका निभा सकता है।
कला और साहित्य की दृष्टि से जीवन दर्शन तथा जीवनयापन करने वालों में युवा लेखिका व कलाकार ज्योति आर्या का नाम लिया जा सकता है। भारत सरकार में अधिकारी, ज्योति ने पिछले कुछ वर्षों में दफ्तर की फाइलों से आंख उठा कर साहित्य जगत में कदम रखा और दो कविताओं के संग्रह ‘जुगनुओं के बल्ब’ तथा ‘चाँद गिरा है’ से बेस्टसेलर कवियत्री बनीं।
कला की ही दृष्टि से सर्वभ्रमण करते हुए हर कलाकार के लिए ये तो लगभग निश्चित ही होता था कि वे कला-पथ में नए आयाम तलाशें। यह तलाश पूरी हो रही है और उसी शृंखला को बदस्तूर रखते हुए ज्योति की दो समूह कला प्रदर्शनियां, देश की राजधानी नई दिल्ली के हौज खास में लगाई जाने वाली हैं। उनकी यह कला प्रदर्शनी यहां लोकायुक्त आर्ट गैलरी में लगेगी।
कला प्रदर्शनी में ज्योति आर्या के साथ देश-विदेश के कलाकार भी अपनी कला की प्रदर्शनी लगा रहे हैं। आर्ट-स्पेक्ट्रा द्वारा सात से 10 दिसंबर तथा कलाकार फाउंडेशन द्वारा 16 से 20 दिसंबर तक साथी कलाकारों के साथ उनकी पेंटिंग दृश्य तथा विक्रय के लिए प्रदर्शित रहेंगी। कला में रुचि रखने वालों के लिए ये प्रदर्शनियां निश्चित ही मनोरंजन का सबब बनेंगी।