अश्रुत पूर्वा II
नई दिल्ली। लाखों पाठकों के चहेते लेखक मिलान कुंदेरा नहीं रहे। बेहद चर्चित उपन्यास ‘द अनबियरेबल लाइटनेस अव बीइंग’ के रचयिता कुंदेरा का पिछले दिनों निधन हो गया। वे 94 साल के थे। वे काफी समय से बीमार थे। यह दुखद ही है कि चेकोस्लोवाकिया में जन्मे कुंदेरा को देश निकाला दे दिया गया था। बाद में उन्हें फ्रांस की नागरिकता मिल गई। इसके बाद चेक गणराज्य ने कई बार उन्हें बुलाया मगर वे वहां नहीं गए। चेक के प्रधानमंत्री पेट्र फियाला ने उनकेनिधन पर गहरा शोक जताया है।
उनका जन्म चेक शहर ब्रनो में हुआ था लेकिन 1968 में चेकोस्लोवाकिया पर सोवियत आक्रमण की आलोचना करने की वजह से बहिष्कार का सामना करना पड़ा और वे फ्रांस चले गए थे। फिर नहीं लौटे स्वदेश।
मिलान कुंदेरा ने चार चर्चित उपन्यास लिखे। ये हैं 1995 में लिखा गया ‘स्लोनेस’, 1998 में लिखा गया ‘आयडेंटिटी’, साल 2000 में लिखा गया ‘इग्नोरेंस’ और 2014 में लिखा गया ‘द फेस्टिवल आफ इनसिग्निफिकेंस’। कुंदेरा ने अपनी मातृभाषा चेक में लिखना छोड़ कर फ्रांसीसी में ये सभी उपन्यास लिखे। ऐसा उन्होंने क्यों किया। दरअसल, कुंदेरा के दिल में फ्रांसीसी सभ्यता के प्रति असीम प्रेम था।
चेक के राष्ट्रपति ने कुंदेरा को विश्वस्तरीय लेखक बताया है। उन्होंने कहा कि उनकी विरासत उनके लेखन में सदैव जीवित रहेगी। लोगों की नजरों से दूर रहने वाले कुंदेरा ने शायद ही कभी किसी को साक्षात्कार दिया हो। उनका मानना था कि लेखक को अपने लेखन के माध्यम से बोलना चाहिए।
उपन्यास ‘द अनबियरेबल लाइटनेस आफ बीइंग’ कुंदेरा की सर्वाधिक चर्चित रचना है। इस उपन्यास ने उन्हें वैश्विक साहित्य का सितारा बना दिया था। इस उपन्यास में कुंदेरा ने प्राग स्प्रिंग की पृष्ठभूमि के खिलाफ एक प्रेम त्रिकोण को सामने रखा है। 1984 में छपी इस किताब ने कुंदेरा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धि दी।