आलेख

घर से निकलते ही जब होने लगे बारिश

अश्रुत पूर्वा II

आप घर से निकलें बारिश होने लगे या रिमझिम बारिश हो रही हो और ऐसे आपको दफ्तर/ कालेज जाना हो तो यह काफी मुश्किल भरा होता है।  ऐसे मौसम में युवा शार्ट्स, स्कर्ट और बरमुडा पहनना पसंद करते हैं। लेकिन कारपोरेट या सरकारी तथा निजी क्षेत्र के कार्यालयों में काम करने वाले लोगों के सामने समस्या होती है कि वे क्या पहनें। हालांकि एक विकल्प तो है कि वे कमीज-पैंट पहनें और जब बारिश हो रही हो तो पतलून को नीचे से मोड़ लें। दूसरी समस्या जूते की है। बारिश में दफ्तर या कालेज जाते समय आप चप्पल नहीं पहन सकते। ऐसे में सुझाव दिया जाता है कि गमबूट या साधारण जूते पहनें। लड़कियां प्लास्टिक की सैंडिल पहन सकती हैं।
कालेज जाने वाले कई युवा बारिश में अपना ड्रेस कोड बदल देते हैं। जींस की जगह कैप्री और शार्ट्स ले लेती है। कई युवतियां फैशनेबल स्कर्ट या मिनी स्कर्ट पहनना पसंद करती हैं। हालांकि ड्रेस कोड होता है। मगर कई कालेज बारिश में युवाओं को मनपसंद कपड़े की छूट दे देते हैं। बारिश के दिनों में ज्यादातर युवा घुटने से ऊपर तक के कपड़े पहनना पसंद करते हैं। युवतियां जींस को उपर की ओर मोड़ कर पहनती हैं।
कई कालेजों में ड्रेस कोड में छूट देने के बावजूद अभिभावक अपने बच्चों को ऐसे कपड़े पहनने की छूट नहीं देना चाहते जो पारदर्शी हों। वह नहीं चाहते कि उनके बच्चे ऐसे कपड़े पहनें जो देखने में गरिमापूर्ण न लगें और उन्हें शर्मिंदगी महसूस हो। महानगरों में कई जगह ऐसी छूट मिल जाती है ताकि बारिश में लोग परेशान न हों।
अगस्त और सितंबर में बारिश की वजह से अक्सर सड़कों पर पानी भर जाता है और छात्रों को इन्हीं रास्तों से कालेज तक पहुंचना होता है।  इसलिए कई कालेज मानसून में अपने नियमों थोड़ी ढील दे देते हैं। कई कालेजों में कैजुअल कपड़े भी पहन कर आने की इजाजत होती है। कुछ कालेजों में ऐसे कपड़े पहनने की हिदायत दी जाती है जिससे युवा भद्दे न दिखें और इस मामले में अभिभावकों की मदद ली जाती है।
काल सेंटर या आफिस में काम करने वाले युवाओं को ट्रेंडी कैप्रीज या शार्ट स्कर्ट पहनने की इजाजत नहीं होती क्योंकि उनका अपना फार्मल ड्रेस कोड होता है। क्योंकि वह नहीं चाहते कि किसी भी मौसम में उनके कर्मचारी अपने ड्रेस कोड को बदलने की मांग करें। वे यह भी नहीं चाहते कि किसी भी मौसम में उनके कर्मचारी अपने ड्रेस को बदलने की मांग करें। वे यह भी नहीं चाहते कि उनके कर्मचारी मिनी स्कर्ट या शार्ट्स में घूमें। दफ्तर का अपना भी कोई नियम होता है। कई दफ्तरों में आग्रह करने पर भी नियमों में ढील नहीं दी जाती।  घर से दफ्तर के बाहर तक वह चाहे जैसे भी कपड़े पहन कर आएं, मगर दफ्तर में प्रवेश करते ही उन्हें कपड़े बदलते ही पड़ते हैं।
हालांकि कई कॉल सेंटर अपने कस्टमर केयर कर्मचारियों को मानसून के दौरान अपने हिसाब से ड्रेस अप होने की इजाजत देते हैं। इससे कर्मचारी भी खुश रहते हैं और वे इस बात से बेफिक्र रहते हैं कि कार्यालय जाते समय उनके कपड़े गीले या गंदे हो जाएंगे।

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