अश्रुत तत्क्षण

कवियों के सुर, मिले सुर मेरा तुम्हारा

अश्रुत पूर्वा II

नई दिल्ली। स्वतंत्रता दिवस पर दिल्ली से लेकर देश भर में आजादी का जश्न मनाया गया। विद्यालयों से लेकर सरकारी कार्यालयों तक में समारोह हुए। कई कवि सम्मेलन भी आयोजित हुए। दिल्ली में हिंदी अकादमी ने राष्ट्रीय कवि सम्मेलन किया। वहीं दिल्ली सरकार की मैथिली-भोजपुरी अकादमी ने भी हर साल की तरह राष्ट्रीय कवि सम्मेलन आयोजित किया। अकादमी का का यह आयोजन संस्कृत अकादमी सभागार में हुआ। इसी मौके पर गढ़वाली, कुमाऊंनी और जौनसारी अकादमी ने भी राष्ट्रीय कवि सम्मेलन किया।  
कार्यक्रम में मैथिली कवियों ने समां बांध दिया। मैथिली कवि सम्मेलन का संचालन अक्षय आनंद सन्नी ने किया। इस मौके पर आभा झा की कविताओं को श्रोताओं ने खूब सराहा। इस कायक्रम में स्वाति शाकंबरी, अमरनाथ मिश्र ‘अलबेला’ और अजित आजाद ने हिस्सा लिया। दूसरी ओर भोजपुरी कवि सम्मेलन में भी कवियों ने रंग जमाया। भोजपुरी कवि गोरख प्रसाद ‘मस्ताना’ को श्रोता ने गौर से सुना। उनकी कविता-दिने दुपहरिया में, धइले बा अहरिया हो, झगरिया सूझे ना, रोवे गावेली अंजोरिया हो, डगरिया सूझे ना पर श्रोताओं ने बेहद पसंद किया।
मैथिली-भोजपुरी अकादमी के इस कार्यक्रम में दिल्ली संस्कृत अकादमी के उपाध्यक्ष केके शर्मा मुख्य अतिथि थे। दूसरी ओर दिल्ली सरकार की ही गढ़वाली, कुमाऊंनी और जौनसारी अकादमी ने राजधानी के हिंदी भवन में राष्ट्रीय कवि सम्मेलन अयोजित किया। कवि गिरीश चंद्र बिष्ट ने सम्मेलन की अध्यक्षता की। इस सम्मेलन में हेमा उनियाल, बीना बेंजवाल, नीरज बवाड़ी, कुसुम भट्ट, दिनेश ध्यानी, खजान दत्त शर्मा, प्रदीप सिंह आदि ने काव्य पाठ किया। कवि जय सिंह रावत ने अपनी कविताओं से वीर शहीदों को याद किया।

About the author

ashrutpurva

error: Content is protected !!