अश्रुत पूर्वा II
नई दिल्ली। कथाकार और वरिष्ठ पत्रकार महेश दर्पण ने कहा कि भाषा केवल अभिव्यक्ति का ही नहीं संस्कृति की भी वाहक है। वह हमारी परंपराओं को पोषित करती है। उन्होंने अनुवाद के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि हिंदी का प्रचार-प्रसार बेहद आवश्यक है। वे साहित्य अकादेमी में हिंदी सप्ताह के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए बोल रहे थे। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि हैम्बर्ग विश्वविद्यालय जर्मनी के भारत-विद्या विभाग के प्रो. रामभट्ट थे।
इस अवसर पर जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर देवेंद्र चौबे ने कहा कि हिंदी में काम करना केवल राष्ट्रभाषा में काम करना ही नहीं बल्कि ऐसा करने से हम देश की ज्ञान परंपरा को आगे बढ़ाते हैं। हिंदी में काम करके हम देश की अस्मिता का सम्मान करते हैं।
मुख्य अतिथि प्रो. भट्ट ने कहा कि 1887 में जर्मनी में हिंदी की पढ़ाई शुरू हुई। वहां के सभी राज्यों में भारत-विद्या विभाग हैं। जहां हिंदी के साथ अन्य भारतीय भाषाएं पढ़ाई जाती हंै। उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि विदेशी लोग जब हिंदी में बात करते हैं तो भारतीय लोग उनका अंग्रेजी में जवाब देने लगते हैं। इस पर हमें सोचना चाहिए।
हिंदी सप्ताह कार्यक्रम की शुरुआत में साहित्य अकादेमी के सचिव ने अतिथियों का स्वागत अंगवस्त्रम और पुस्तकें देकर किया। इसके साथ ही उन्होंने हिंदी दिवस पर मंत्रिमंडल सचिव राजीव गौबा की ओर से भेजे गए संदेश को पढ़ा।