अश्रुत तत्क्षण

दिल्ली कला उत्सव ने रचा रंगों का इंद्रधनुष

अश्रुत पूर्वा संवाद II

नई दिल्ली। दिल्ली में पिछले दिनों दो दिवसीय कला उत्सव आयोजित किया गया। इस उत्सव का आयोजन कला एवं साहित्य की अखिल भारतीय संस्था ‘संस्कार भारती’ ने किया। यह उत्सव मंडी हाउस स्थित रवींद्र भवन परिसर में आयोजित किया गया। इस उत्सव के सहयोगी रहे – ललित कला अकादमी, साहित्य अकादेमी व संगीत कला अकादमी। इस उत्सव के मुख्य आकर्षण रहे- चित्रकला एवं मूर्तिकला प्रदर्शनी, नृत्य प्रस्तुति, नाट्य प्रस्तुति, शास्त्रीय एवं सुगम संगीत प्रस्तुति, लोक कला प्रस्तुति, कवि सम्मेलन और विभिन्न भाषाओं में रामायणों की प्रदर्शनी।
यह उत्सव दोपहर दो बजे से रात आठ बजे तक चला। चित्रकला प्रदर्शनी सभी के आकर्षण का केंद्र बनी। किशोरों के लिए आयोजित चित्रकला प्रतियोगिता में बच्चों ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया। उनका उत्साह देखते ही बनता था। वयस्क वर्ग चित्रकला प्रतियोगिता में कैनवास पर उकेरे जाते चित्र बरबस ही सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रहे थे।
मेले मेंं विविध स्टाल बच्चों, वयस्कों व वृद्धजन का केंद्र बिंदु बने हुए थे। प्रवेश द्वार पर बजते ढोल मन को प्रफुल्लित कर रहे थे। कला की पारंपरिक और लुप्तप्राय विधाएं कठपुतली, बाईस्कोप, कुम्हार का चाक, बहुरूपिया, लाख की चूड़ी वाला, नट, राष्ट्रीय प्रेरणा की पुस्तकें, हैंडमेड फोटोग्राफी, वन्य व मधुबनी पेंटिंग, सिरामिक पॉटरी, जादूगर द्वारा जादू के करतब व रंगोली ने माहौल को और अधिक जीवंत व रूचिकर बना दिया।
दिल्ली की विशेषता चाट व खान-पान के विविध स्टालों ने मन मोह लिया। सबसे अच्छी बात यह रही कि खाने पीने की सभी वस्तुओं के दाम बेहद वाजिब रखे गए।
‘संस्कार भारती’ यह उत्सव पिछले छह वर्षो से सफलतापूर्वक आयोजित कर रही है। इस वर्ष कला उत्सव का केंद्रीय विषय ‘समरसता के नायक राम’ था।  जिसमें संगीत, नृत्य, गायन, नाटक, कविता आदि के माध्यम से श्रीराम के आदर्श और समतामूलक संदेश को समाज में प्रसारित किया गया। वास्तव में संस्कार भारती की स्थापना ललित कला क्षेत्र में राष्ट्रीय चेतना लाने के उद्देश्य से की गई थी। ‘सा कला या विमुक्तये’ अर्थात कला वह है जो बुराइयों के बंधन काट कर मुक्ति प्रदान करती है। इस घोष वाक्य के साथ वर्तमान में 1200 से अधिक इकाइयां देशभर में कार्य कर रहीं हैं। संस्कार भारती कला द्वारा राष्ट्रभक्ति एवं संस्कार जगाने के लिए विभिन्न कलाओं का प्रशिक्षण देती है तथा समय-समय पर नवोदित कलाकारों को प्रोत्साहन देती है।
मंच पर कलाकारों द्वारा रामलीला मंचन अद्भुत रहा। दर्शक मंत्रमुग्ध होकर इस कार्यक्रम का आनंद ले रहे थे। दो दिवसीय उत्सव ने दिल्ली की सर्द हवाओं और मौसम को और अधिक रसमय कर दिया। (इनपुट: अंजू खरबंदा)

About the author

ashrutpurva

error: Content is protected !!