अश्रुत पूर्वा संवाद II
नई दिल्ली। साहित्य अकादेमी के प्रतिष्ठित कार्यक्रम कविसंधि के अंतर्गत एक फरवरी को पंजाबी के प्रतिष्ठित कवि और प्रख्यात चित्रकार देव के काव्य-पाठ का आयोजन किया गया। स्विट्जरलैंड से आए देव ने लगभग एक दर्जन कविताओं का पाठ किया। अंत में उपस्थित श्रोताओं के प्रश्नों के उत्तर भी दिए। कार्यक्रम में साहित्य अकादेमी के पंजाबी परामर्श मंडल के संयोजक रवेल सिंह ने श्री देव का स्वागत अंगवस्त्र प्रदान कर किया और उनका संक्षिप्त परिचय भी श्रोताओं के समक्ष प्रस्तुत किया।
देव की कविताओं में प्रमुख थीं- बयान, 1947, कारसेवक, परवाज, शायर का घर, मेरा पंजाब, खेल, बचपन आदि।
श्रोताओं के सवालों के उत्तर देते हुए कवि देव ने कहा कि मैं अपनी कविताओं में चुप्पी को ज्यादा महत्व देता हूं। मैं अपनी कविता को पहले आंख से देखता हूं और अर्थों से मुक्त शब्दों से कविता बनाता हूं। मैं शब्दकोशों में बंद शब्दों को निकाल कर एक बार फिर उन्हें पाठकों के लिए संजोता हूं। उनकी चित्रकला के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि मैं एक रंग का ही पेंटर हूं यानी मोनो कलर पेंटर। मैं एक ही रंग का बार-बार प्रयोग कर रंग की एक नई सिम्फनी बनाता हूं।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मैं रवींद्रनाथ टैगोर को भारत का सर्वश्रेष्ठ चित्रकार मानता हूं और उसके बाद अमृता शेरगिल को। रवेल सिंह ने उनकी कविताओं को पंजाब का गहना बताते हुए कहा कि यह हमारा सौभाग्य है कि हम एक ऐसे कवि से रूबरू हुए हैं जो शब्द और दृश्य दोनों से ऐसी चुप्पी को चुनता है जो सबसे ज्यादा वाचाल होती है। कार्यक्रम में वनीता, कुलबीर गोजरा और सौमित्र मोहन सहित कई अन्य पंजाबी तथा हिंदी के लेखक तथा चित्रकार उपस्थित थे।