अश्रुत तत्क्षण

कोलकाता में काव्य-संध्या, कवियों ने जमाया रंग

अश्रुत पूर्वा II

कोलकाता। भारतीय भाषा परिषद और गोरखपुर की संस्था स्नेहिल काव्य धार ने काव्य संध्या का आयोजन किया। स्नेहिल काव्य धार की संस्थापक सरोज अग्रवाल और रेखा ड्रोलिया ने कार्यक्रम का संचालन किया। अध्यक्षता सुरेश चौधरी ने की। कवयित्री विद्या भंडारी मुख्य अतिथि थीं।
इस अवसर पर दुर्गा व्यास, रमा केडिया, डॉ.अभिज्ञात, सविता पोद्दार, डॉ. गीता दुबे, नीता अनामिका, अर्पणा अंजन, राज्यवर्धन, सेराज खान बातिश, चंदा प्रहलादका, शशि लोहाटी प्रसन्न चोपड़ा ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं का मन मोह लिया। इस मौके पर शम्भूनाथ जी की गरिमामय उपस्थिति रही। कार्यक्रम की संयोजक विमला पोद्दार ने गोरखपुर से आई संस्था का स्वागत किया।
मुख्य अतिथि विद्या भंडारी ने ‘जीवन’ पर काव्य पाठ किया। सुरेश चौधरी ने ‘प्रेम’ पर रचना सुनाई। नीता अनामिका ने कविता पढ़ी- जिस स्थान पर बिंदी लगाई जाती है, वह मां की आत्मशक्ति का केंद्र था। यह जीवन दर्शन पर आधारित कविता थी। अर्पणा अंजन जी ने ‘तुम सांध्य दीप हो, मैं तुलसी चौरा हो जाऊं’ शाीर्षक से कविता सुनाई। रेखा ड्रोलिया ने ‘टूटने से क्यूं कर डरना, छूटने का भय क्यों करना’ और शशि लोहाटी ने कविता ‘मैं राजस्थान हूं’ सुनाई।
चंदा प्रह्लादका ने कविता ‘झूमे अयोध्या नगरी राम आए हैं’ सुनाई। सरोज अग्रवाल ने ‘मैंने तुम्हारे लिए एक कुर्ता सिला है’ कविता सुनाई। सभी रचनाकारों ने अपनी कविताएं सुना कर सभी को मंत्र मुग्ध कर दिया।

About the author

ashrutpurva

error: Content is protected !!