आवाज़ : शरमीन
मशीख़तों को फ़रोग़ देना नहीं है हुस्ने – विक़ार मेरा
न इतनी हल्की ज़ुबान मेरी न इतना नीचा शयार मेरा
ये क़द-बुलन्दी की कोशिशें सब सुकूने दिल को मिटा रही हैं
जो सिमटा, सिमटा वुजूद में है वो ही है आखिर क़रार मेरा
आवाज़ : शरमीन
मशीख़तों को फ़रोग़ देना नहीं है हुस्ने – विक़ार मेरा
न इतनी हल्की ज़ुबान मेरी न इतना नीचा शयार मेरा
ये क़द-बुलन्दी की कोशिशें सब सुकूने दिल को मिटा रही हैं
जो सिमटा, सिमटा वुजूद में है वो ही है आखिर क़रार मेरा
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