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प्रद्युम्न तिवारी : लगन गाथा

अश्रुतपूर्वा डेस्क II

देश के सामाजिक परिवेश में अनेक हाथ निर्माण की प्रक्रिया में हैं। अनेक प्रतिभाओं के उभरने में अदृश्य, अनाम पर आगमजानी दूरदर्शी व्यक्तित्व अपने करीब के टिमटिमाते सितारों को पहचानकर प्रेरणा, प्रोत्साहन से उनके प्रयोजन को एकलक्षीय बनाते रहते हैं। प्रद्युम्न तिवारी भी इसी प्रक्रिया की एक उपलब्धि हैं। मध्यप्रदेश के रीवा जिला मुख्यालय से 22 किलोमीटर दूर स्थित बकिया गांव के यह मूल निवासी हैं। गांव के उल्लेख का उद्देश्य यह है कि आधुनिक सुविधाओं की अनुपलब्धता के बावजूद भी क्रिकेट जैसे आधुनिकतम खेल से जुड़ जाना एक साहस का कार्य है। सुरेन्द्रपाल ग्रामोदय गुरुकुल एक स्थानीय विद्यालय में इन्हें दाखिल करवाना तिवारी कृषक परिवार को उपयोगी लगा क्योंकि आर्थिक स्थिति किसी अन्य ख्यातिप्राप्त विद्यालय में नाम लिखाने में बाधक थी। इस गुरुकुल में प्रद्युम्न ने 12 वीं कक्षा तक पढ़ाई की तथा इस अवधि में इनके दादा ने इन्हें क्रिकेट खेलने का भरपूर प्रोत्साहन दिया और उन्होंने क्रिकेट के बेहतर प्रशिक्षण के लिए प्रद्युम्न को क्रिकेट अकादमी, भोपाल में प्रवेश दिलाया। मध्य्प्रदेश में प्रद्युम्न ने क्रिकेट के कई मैच खेला।

प्रतिभा अंकुरण को जब उचित ऊर्जा और परिवेश प्राप्त होता है तब उसमें उसकी स्वाभाविक दीप्ति क्रमशः आलोकित होने लगती है। यही हुआ और क्रिकेट समीक्षक और प्रेमी कहने लगे कि इस खिलाड़ी में कुछ तो बात है। यह कुछ तो बात है जैसी प्रशंसा को पाने के लिए एक तरफ प्रद्युम्न की लगन और अथक श्रम था तो वहीं दूसरी ओर उनके परिवार विशेषकर उनके दाद, पिता और चाचा का अवर्णनीय, अनमोल प्रोत्साहन था। सतना जैसे छोटे शहर के एक गांव के दादा की दृष्टि अपने पोते में एक क्रिकेटर की आब देखकर उसे यथासंभव क्रिकेट में गतिमान होने का सतत सुंदरतम खेलने का आशीर्वाद देती है तो यह एक सामान्य क्रिया बिल्कुल नहीं है। सुदूर गांवों में विभिन्न विधाओं की प्रतिभाएं सुप्तावस्था में अपने ग्रामीण क्षेत्र में अपनी विशिष्टता तो दर्ज कर पाती हैं किंतु बहुत कम इन अंकुरित प्रतिभाओं को घर, परिवार का समर्थन मिल पाता है तथा ऐसी प्रतिभाएं खिल पाती हैं। प्रद्युम्न के दादा को ग्रामीण अंचलों के मार्गदर्शक हीरो कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी।

मध्यप्रदेश में क्रिकेट खेलते हुए और भोपाल से प्रशिक्षण प्राप्त करते हुए जब खेल कौशल नित कुशलता की चुनौती देने लगा तब प्रद्युम्न को और उनके शुभचिंतकों को लगा कि अब मध्यप्रदेश को जितना पोषण देना था उतना पोषित कर चुका। यहां प्रश्न उभरा कि अब आगे क्या? कलाईयों में उभरता, निखरता, संवरता खेल कौशल बार-बार प्रेरित कर रहा था कि एक नया और वृहद खेल आसमान की आवश्यकता है। श्रेष्ठता को अति श्रेष्ठता में ढालने के लिए प्रद्युम्न दिल्ली आ गए। एक युवा पंख को उड़ान के लिए वृहद आसमान मिल गया। यहां पहुंचकर विस्तृत आसमान को देखकर अपने स्वर्गवासी दादा दयानंद तिवारी के प्रति अश्रुपूरित नयनों से आभार प्रकट करते हुए इन्होंने आदरांजलि अर्पित किया साथ ही अपने चाचा हरिओम तिवारी को भी नमन किया। दादा के 2018 में स्वर्गवासी होने के बाद प्रद्युम्न का क्रिकेट बिखर गया और लगने लगा कि बस हो गयी अभिलाषा पूरी और उनका क्रिकेट मन उदासियों के बादलों में घिरा बॉल और बल्ले में खोया रहता था। यह कहावत है न कि यदि लगन सच्ची हो तो उपलब्धियां आसान हो जाती हैं। इनके चाचा ने क्रिकेट प्रशिक्षण का दायित्व वहन किया और आठ महीने उदासियों में डूबे प्रद्युम्न को दिल्ली भेज दिया। गरीबी व्यक्ति को सताती तो जरूर है पर साथ ही जिंदगी जिलाती भी है, यदि व्यक्ति में लक्ष्य की दीवानगी हो। वर्ष 2016 में आईपीएल में प्रद्युम्न का चयन हो गया किन्तु क्रिकेट किट न होने के कारण वंचित होना पड़ा। इस वेदना को सह पाना प्रद्युम्न जैसे जीवट खिलाड़ी के ही वश की बात है। प्यूमा कंपनी के प्रबंधक राकेश यादव की दृष्टि ने अपना आकलन किया और प्रद्युम्न को क्रिकेट किट दे दिया। यह पल वैसा ही लगा जैसे एक भक्त का झोली ईश्वर भर दे। एक युवा खेल कुशल प्रतिभा के हांथों में किट का होना उतना ही आवश्यक जितना जरूरी तन में आत्मा का साथ।

क्रिकेट भारत का एक ऐसा लोकप्रिय खेल है जो महानगरों से सुदूर गांवों की गलियों से लेकर मैदान तक अपना आधिपत्य जमाए हुए है। प्रत्येक युवा खिलाड़ी क्रिकेट की किसी एक विधा पर अपना आधिपत्य बनाए रखने के लिए निरंतर प्रयास बनाए रखता है।प्रद्युम्न भी गेंदबाजी में अपना विशेष कौशल निर्मित कर निरंतर उसे मांजते रहते हैं। मध्य्प्रदेश राज्य स्तरीय अंडर 19 चैम्पियनशिप में इन्होंने अपनी धाक जमा दी। गेंदबाज होने के बावजूद भी अपने 6 साल के कैरियर में प्रथम शतक बनाया। जीवाजी क्लब, मध्य्प्रदेश के विरुद्ध खेलते हुए 60 गेंदों में 111 रन बटोरे जिसमें 17 चौके तथा 2 छक्के शामिल हैं।

दिल्ली के घरेलू क्रिकेट के कुल 170 मैचों में 224 विकेट लेकर क्रिकेट जगत का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किए। दिल्ली के हाल के सीजन में 5 मैचों में कुल 13 विकेट चटखाए। इस प्रकार आईपीएल 2022 के खिलाड़ी चयन प्रक्रिया में अपनी दावेदारी प्रस्तुत कर चुके हैं। 12 और 13 फरवरी, 2022 में बैंगलुरु में आईपीएल चयन प्रक्रिया में कुल 590 खिलाड़ियों में प्रद्युम्न 334वें स्थान पर हैं। अश्रुतपूर्वा प्रद्युम्न तिवारी के कीर्तिमान क्रिकेट जीवन की शुभकामनाएं प्रकट करता है।

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