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शिल्प कला के संरक्षण के लिए ‘भोपाली बटुआ’ पर कार्यशाला

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नई दिल्ली। पारंपरिक कला और शिल्प की विरासत को प्रोत्साहित तथा उन्हें संरक्षित करने के लिए भोपाल में राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान (निफ्ट) के तत्वावधान में शिल्पकारों को प्रशिक्षण देने की तैयारी हो रही है। उनके कौशल को और बढ़ाने के लिए भोपाली बटुआ पर कार्यशाला लगाई गई है। यह 17 जुलाई तक चलेगी। बता दें कि ‘भोपाली बटुआ’ अपने अनूठी डिजाइन के लिए प्रसिद्ध है जिसमें मखमली कपड़े पर कुशलता से मोतियों की लड़ियां गुंथी जाती हैं।

इस आयोजन के संबंध में निफ्ट, भोपाल के समन्वयक डॉ राजदीप सिंह खनूजा ने बताया है कि उस्ताद परियोजना (विकास के लिए पारंपरिक कला/शिल्प में कौशल और प्रशिक्षण का उन्नयन) के तहत अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के साथ निफ्ट ‘भोपाली बटुआ’ को लोगों की वर्तमान जरूरतों के अनुरूप विकसित और डिजाइन करने पर एक कार्यशाला का आयोजन कर रहा है। यह एक जुलाई से शुरू हो गई है। कार्यशाला 17 जुलाई तक चलेगी।

  • अभी पिछले दिनों ही मध्य प्रदेश के वित्त मंत्री ने कहा था कि भोपाली बटुए की देश विदेशा में पहचान बनाई जाएगी। इसके लिए मार्केटिंग एजंसियों की मदद भी ली जाएगी।  मगर दूसरी ओर बटुआ बनाने वाले कारीगर कह रहे हैं कि उन्हें आर्डर तो मिलते हैं, मगर माल तैयार करने के लिए उनके पास पैसा नहीं होता। 
फोटो साभार गूगल

खनूजा ने कहा, हम ‘भोपाली बटुआ’ को लोगों की वर्तमान जरूरतों के अनुसार फिर से डिजाइन करने का काम करेंगे। यह महिलाओं के लिए मोबाइल कवर, युवाओं, कॉलेज के छात्रों के लिए ट्रेंडी पर्स या बैग की तरह होगा। डिजाइन टीम भोपाली बटुआ के प्रसिद्ध और विरासत हस्तशिल्प का दस्तावेजीकरण करने के अलावा डिजाइनिंग, इसके उत्पादन और अनुसंधान पर ध्यान देगी।

निफ्ट, भोपाल के समन्वयक डॉ राजदीप सिंह खनूजा का कहना है कि अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने उस्ताद परियोजना को पारंपरिक कला/शिल्प के विकास के लिए प्रशिक्षण और कौशल बढ़ाने के लिए शुरू किया है। इसका लक्ष्य अल्पसंख्यक समुदाय की पारंपरिक कला और शिल्प की विरासत को संरक्षित करना है। अल्पसंख्यक मंत्रालय ने निफ्ट को ‘नॉलेज पार्टनर’ के तौर पर यह परियोजना सौंपी है। (यह प्रस्तुति खबरों पर आधारित)

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