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अब डिजिटल संस्करण में आई है पत्रिका स्त्री दर्पण

अश्रुत पूर्वा II

नई दिल्ली। प्रसिद्ध लेखिका मृदुला गर्ग का कहना है कि महिलाओं के प्रति समाज का नजरिया आज भी नहीं बदला है। महिलाएं जब भी अपनी निजता और स्वतंत्रता के सवाल उठाती हैं, तो पुरुषों में खलबली मच जाती है। वे आज भी स्त्रियों को नियंत्रित करना चाहते हैं। गर्ग चर्चित पत्रिका ‘स्त्री दर्पण’ के डिजिटल संस्करण का पिछले दिनों हुए लोकार्पण समारोह में बोल रही थी।

पत्रिका स्त्री दर्पण की करीब सौ साल पहले इलाहाबाद में शुरुआत हुई थी, लेकिन बाद में किन्हीं कारणों से इसमें बाधा आई। यह पत्रिका 1929 तक निकलती रही और स्त्रियों की समस्याओं को प्रमुखता से उठाती रही। इस पत्रिका को महिलाएं ही चलाती थीं।

इस संबंध में जारी की गई एक विज्ञप्ति के मुताबिक पत्रिका ‘स्त्री दर्पण’ इस बात का सबूत है कि आजादी की लड़ाई में पंडित नेहरू के परिवार की महिलाओं ने भी पत्रकारिता के माध्यम से स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लिया था। मोतीलाल नेहरू के चचेरे भाई बृजलाल नेहरू की बहू रामेश्वरी नेहरू ने 1909 में इलाहाबाद से ‘स्त्री दर्पण’ को शुरू किया था। बता दें कि इस पत्रिका से पंडित जवाहर लाल नेहरू की पत्नी कमला नेहरू भी जुड़ी थीं।

  • पत्रिका ‘स्त्री दर्पण’ इस बात का सबूत है कि आजादी की लड़ाई में पंडित नेहरू के परिवार की महिलाओं ने भी पत्रकारिता के माध्यम से स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लिया था। मोतीलाल नेहरू के चचेरे भाई बृजलाल नेहरू की बहू रामेश्वरी नेहरू ने 1909 में इलाहाबाद से ‘स्त्री दर्पण’ को शुरू किया था। इस पत्रिका से पंडित जवाहर लाल नेहरू की पत्नी कमला नेहरू भी जुड़ी थीं।

लेखिका मृदुला गर्ग ने ‘स्त्री दर्पण’ मंच पर इस पत्रिका का आनलाइन लोकार्पण किया। उन्होंने कहा कि भारतीय समाज उन्हीं रुढ़ियों का आज भी शिकार है जो बरसों से चली आ रही हैं। इस अवसर पर लेखिका सुधा अरोड़ा, आलोचक रोहिणी अग्रवाल, सुधा सिंह और पत्रिका की संपादक सविता सिंह भी मौजूद थीं। यह अंक बुकर इंटरनेशनल पुरस्कार से सम्मानित लेखिका गीतांजलि श्री पर केंद्रित है।

संपादक सविता सिंह ने बताया कि इस पत्रिका की एक लंबी विरासत है। यह महावीर प्रसाद द्विवेदी की पत्रिका ‘सरस्वती’, विद्यार्थी जी के ‘प्रताप’, प्रेमचंद के ‘हंस’ और महादेव प्रसाद सेठ के ‘मतवाला’ की तरह महत्वपूर्ण है लेकिन हिंदी साहित्य में इसकी उतनी चर्चा नहीं हुई। हम इसे स्त्री विमर्श साहित्य पर केंद्रित करेंगे ताकि सबकी आवाज सुनी जा सके।

यह पत्रिका त्रैमासिक होगी और ‘स्त्री दर्पण’ की वेबसाइट पर अपलोड होगी। फेसबुक पर ‘स्त्री दर्पण’ को दुनिया के 54 देशों में और देश के 100 शहरों में देखा पढ़ा जा रहा है। (इनपुट एंजसी)

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