मनस्वी अर्पणा II
१२१२ ११२२ १२१२ ११२/२२
खुदाई समझे, खुदा तेरी जात को समझे
हुआ जब इश्क तो हम कायनात को समझे //१//
यकीन बाद मौत के हुआ मेरे सच पर
वो कितनी देर बाद मेरी बात को समझे //२//
वो मुझको हार चुके हैं खुशी-खुशी देखो
अजीब लोग हैं जो जीत, मात को समझे //३//
ये जिस्मों जान, अना, आबरू, सभी कुछ तो
लुटा के बैठे तो तेरी बिसात को समझे //४//
जमाने तेरी हिमायत नहीं मेरे हक में
हो एक शख़्स जो मेरे हालात को समझे //५//
हुए जो रूबरू मेरी हकीकतों से तो
वो उलझनों को, मेरी मुश्किलात को समझे //६//
बजाय सच को जानें आप सिर्फ लोगों से
सुनी-सुनाई मेरी मालूमात को समझे //७//