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हिंदी, देश की दूसरी सभी भाषाओं की प्रतिद्वंद्वी नहीं बल्कि उनकी मित्र : केंद्रीय गृहमंत्री

अश्रुत पूर्वा डेस्क II

सूरत, 14 सितंबर। नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हिंदी दिवस पर कहा कि हिंदी, देश की दूसरी सभी भाषाओं की प्रतिद्वंद्वी नहीं बल्कि उनकी मित्र है। इस अवसर पर उन्होंने क्षेत्रीय भाषाओं के मुकाबले हिंदी को प्रोत्साहित करने के दुष्प्रचार की निंदा की। श्री शाह ने क्षेत्रीय भाषाओं के साथ हिंदी को मजबूत करने की जरूरत भी बताई। वे सूरत में अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।

गृहमंत्री ने कहा कि सभी भाषाओं के सह-अस्तित्व को स्वीकार करने की जरूरत है। श्री शाह अन्य भाषाओं से शब्द लेकर हिंदी का शब्दकोश बढ़ाने और इसे लचीला बनाने की जरूरत पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, मैं एक चीज स्पष्ट करना चाहता हूं। कुछ लोग यह दुष्प्रचार कर रहे हैं कि हिंदी और गुजराती, हिंदी और तमिल, हिंदी और मराठी प्रतिद्वंद्वी हैं। हिंदी देश में किसी भी दूसरी भाषा की प्रतिद्वंद्वी नहीं हो सकती। आपको यह समझना होगा कि हिंदी देश की सभी भाषाओं की मित्र है।

केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा, मैं एक चीज स्पष्ट करना चाहता हूं। कुछ लोग यह दुष्प्रचार कर रहे हैं कि हिंदी और गुजराती, हिंदी और तमिल, हिंदी और मराठी प्रतिद्वंद्वी हैं। हिंदी देश में किसी भी अन्य भाषा की प्रतिद्वंद्वी नहीं हो सकती। आपको यह समझना होगा कि हिंदी देश की सभी भाषाओं की मित्र है।

श्री शाह ने कहा कि देश की क्षेत्रीय भाषाएं तभी समृद्ध हो सकती हैं जब हिंदी समृद्ध होगी। क्षेत्रीय भाषाओं के विकास से हिंदी भी समृद्ध होगी। गृह मंत्री ने कहा, सभी को यह स्वीकार करना और समझना होगा। जब तक हम भाषाओं के सह-अस्तित्व को स्वीकार नहीं करते, तब तक हम देश को अपनी भाषा में चलाने के सपने को साकार नहीं कर सकते।

केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा, मैं यह गंभीरता से कहना चाहता हूं कि सभी भाषाओं और मातृभाषाओं को जीवित रखना तथा उन्हें समृद्ध करना हमारा लक्ष्य होना चाहिए। इन सभी भाषाओं के समृद्ध होने से ही हिंदी समृद्ध होगी। (यह प्रस्तुति मीडिया की खबरों से)

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