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वैश्विक संदेश देता सबसे बड़ा दीया

अश्रुतपूर्वा II

नई दिल्ली। माटी और मनुष्यता का नाता इस सभ्यता के आदि से है और यह अंत तक रहेगा। खेती-किसानी से लेकर पर्व-त्योहार तक माटी से हमारी परंपरा जुड़ी है। माटी के दीप से मनुष्य ने कभी अपने घर को ही नहीं मन को भी जगमग किया होगा। माटी का दीया हमारी संस्कृति का हिस्सा है। इसकी लौ में हम ईश्वर को देख सकते हैं। 
वैश्विक शांति का संदेश देने के लिए पंजाब के मोहाली में दुनिया का सबसे बड़ा दीपक जलाया गया है। दीपावली से बेहतर समय क्या होता इसके लिए। इसकी लौ में एकता और सद्भाव की जगमगाहट है। यह सचमुच सुखद है।
मोहाली से मिली खबरों के मुताबिक पिछले दिनों विश्व रिकॉर्ड के साथ संपन्न हुए इस आयोजन के लिए दस हजार से अधिक लोगों ने तेल दिया। विश्व शांति, एकता, धर्मनिरपेक्षता और मानवता का संदेश देने के लिए लगभग एक हजार किलो का स्टील से बना और 3.37 मीटर व्यास वाले दुनिया के सबसे बड़े दीपक को लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) केजे सिंह ने प्रज्वलित किया। विविधता का प्रतिनिधित्व करने वाले ‘हीरो होम्स’ के निवासियों सहित दस हजार से अधिक नागरिकों ने शांति के इस अनूठे प्रतीक के लिए 3,129 लीटर तेल की व्यवस्था की।  

वैश्विक शांति और एकता की लौ
पिछले दिनों विश्व रिकॉर्ड के साथ संपन्न हुए इस आयोजन के लिए दस हजार से अधिक लोगों ने तेल दिया। विश्व शांति, एकता, धर्मनिरपेक्षता और मानवता का संदेश देने के लिए लगभग एक हजार किलो का स्टील से बना और 3.37 मीटर व्यास वाले दुनिया के सबसे बड़े दीपक को प्रज्वलित किया गया।

इस मौके पर हीरो रियल्टी के सीएमओ आशीष कौल ने कहा कि शांति के त्योहार के उपलक्ष्य में इस दीपक को गिनीज बुक के अधिकारियों की उपस्थिति में प्रज्वलित किया गया। ये अधिकारी इस उपलब्धि को दर्ज करने के लिए मोहाली आए। उन्होंने कहा कि गिनीज बुक के अनुसार, यह दीया खाना पकाने वाले तीन हजार लीटर तेल से जलाया गया और यह दुनिया का अब तक का सबसे बड़ा दीपक है।
इस अवसर पर लेफ्टिनेंट जनरल सिंह ने कहा कि अपरंपरागत आयोजन है, जिसमें परंपरा के अनुसार दीपावली मनाने और एक महत्वपूर्ण सामाजिक संदेश प्रसारित करने का दोहरा इरादा शामिल है। दुनिया के सबसे बड़े दीपक का विचार लाने वाले आशीष कौल ने कहा, मेरी जड़ें कश्मीर में हैं। पिछले 32-33 वर्षों से, मैं घर लौटने के लिए शांतिपूर्ण मार्ग तलाश रहा हूं। यह मेरी यात्रा है, यह हर उस व्यक्ति की यात्रा है जो गरिमा चाहता है, गरिमा तब तक नहीं मिल सकती जब तक कि आपके पास शांति न हो। उन्होंने कहा, मेरे लिए यह हमेशा शांति की तलाश रही है। जब मुझे लगा कि दीपावली पास है, तो शांति का संदेश देने का इससे बेहतर अवसर और क्या हो सकता है। (मीडिया में आई खबर की पुनर्प्रस्तुति)

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