अश्रुत तत्क्षण

राम के वचनों से बने मूल्य ही सबका साथ, सबका विकास की प्रेरणा  : प्रधानमंत्री

अश्रुतपूर्वा II

नई दिल्ली। अयोध्या में छोटी दीपावली पर सरयू के तट पर लाखों दीयों की मनोरम छटा ने हमारी परंपरा की याद दिला दी। यह दीपोत्सव का अद्भुत आयोजन था, जिसके साक्षी हजारों लोगों के साथ स्वयं देश के प्रधानमत्री भी बने। इस मौके पर उन्होंने भगवान राम के शासन के मूल्यों को अपनी सरकार के ‘सबका साथ, सबका विकास’ के लक्ष्य का आधार बताया।
राम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर बनाने के लिए पांच अगस्त 2020 को शिलान्यास करने के बाद पहली बार अयोध्या आए प्रधानमंत्री पवित्र सरयू नदी के किनारे राम की पैड़ी पर 15 लाख 76 हजार दीए जलाए जाने के विश्व कीर्तिमान के साक्षी बने। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने रामलला के अस्थायी मंदिर में पूजा की और राम मंदिर निर्माण का जायजा भी लिया। उन्होंने इस अवसर पर राम कथा पार्क में भगवान राम का सांकेतिक राज्याभिषेक भी किया।
इस मौके पर प्रधानमंत्री ने श्रीराम के आदर्शों को विकसित भारत की आकांक्षा का प्रकाश स्तंभ करार देते हुए कहा कि राम के वचनों, विचारों और शासन ने जिन मूल्यों को गढ़ा है, वह ‘सबका साथ, सबका विकास’ की प्रेरणा हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, इस अमृत काल में भगवान राम जैसी संकल्प शक्ति देश को नई ऊंचाई पर ले जाएगी। अगले 25 साल में विकसित भारत की आकांक्षा लिए आगे बढ़ रहे हिंदुस्तानियों के लिए श्रीराम के आदर्श उस प्रकाश स्तंभ की तरह हैं जो हमें कठिन से कठिन लक्ष्यों को हासिल करने का हौसला देंगे। उन्होंने कहा, भगवान राम ने अपने वचनों, अपने विचारों और अपने शासन में जिन मूल्यों को गढ़ा है, वे ‘सबका साथ, सबका विकास’ की प्रेरणा हैं और ‘सबका विश्वास, सबका प्रयास’ का आधार भी हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा, संयोग देखिए। हमारे संविधान की मूल प्रति पर भगवान राम, मां सीता और लक्ष्मण जी का चित्र अंकित है। संविधान का वह पृष्ठ भी मौलिक अधिकारों की बात करता है। यानी हमारे संवैधानिक अधिकारों की एक और गारंटी। साथ ही प्रभु राम के रूप में कर्तव्यों का शाश्वत सांस्कृतिक बोध भी, इसलिए हम जितना कर्तव्यों के संकल्प को मजबूत करेंगे, राम जैसे राज्य की संकल्पना उतनी ही साकार होती जाएगी। उन्होंने अपनी सरकार द्वारा आध्यात्मिक विरासत को बचाने के लिए किए जा रहे प्रयासों का जिक्र करते हुए कहा, पिछले आठ साल  में देश ने हीन भावना की इन बेड़ियों को तोड़ा है। हमने भारत के तीर्थों के विकास की एक समग्र सोच को सामने रखा है।

प्रधानमंत्री ने श्रीराम के आदर्शों को विकसित भारत की आकांक्षा का प्रकाश स्तंभ करार देते हुए कहा कि राम के वचनों, विचारों और शासन ने जिन मूल्यों को गढ़ा है, वह ‘सबका साथ, सबका विकास’ की प्रेरणा हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, इस अमृत काल में भगवान राम जैसी संकल्प शक्ति देश को नई ऊंचाई पर ले जाएगी। अगले 25 साल में विकसित भारत की आकांक्षा लिए आगे बढ़ रहे हिंदुस्तानियों के लिए श्रीराम के आदर्श उस प्रकाश स्तंभ की तरह हैं जो हमें कठिन से कठिन लक्ष्यों को हासिल करने का हौसला देंगे।

प्रधानमंत्री ने राम की पैड़ी पर भव्य दीपोत्सव कार्यक्रम में शिरकत की। वे पहली बार इस कार्यक्रम का हिस्सा बने। इस बार राम की पैड़ी पर 15 लाख 76 हजार दीपक जलाए गए थे। प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इस कीर्तिमान को गिनीज बुक आॅफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में शामिल किए जाने का प्रमाणपत्र दिया। इस मौके पर अयोध्या के चौक-चौराहों पर तीन लाख से अधिक दीप जलाए गए।
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर कहा, आज अयोध्या दीपों से, दिव्य भावनाओं से भव्य हैं। आज अयोध्या नगरी भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण के स्वर्णिम अध्याय का प्रतिबिंब है। जब 14 वर्ष के वनवास के बाद प्रभु श्रीराम अयोध्या वापस आए होंगे तो अयोध्या कैसे सजी-संवरी होगी। उन्होंने कहा, हमने त्रेता युग की उस अयोध्या के दर्शन नहीं किए लेकिन पभु राम के आशीर्वाद से आज अमृत काल में अमर अयोध्या की अलौकिकता के हम साक्षी बन रहे हैं। श्रीराम ने रावण के अत्याचार का अंत हजारों वर्ष पूर्व किया था लेकिन आज हजारों साल बाद भी उस घटना का एक-एक मानवीय और अध्यात्मिक संदेश एक-एक दीपक के रूप में सतत प्रकाशित होता है। दीपावली के दीपक हमारे लिए केवल एक वस्तु नहीं हैं। यह भारत के आदर्शों, मूल्यों और दर्शन के जीवंत ऊर्जा पुंज हैं। (मीडिया में आई खबरों के आधार पुनर्प्रस्तुति)

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