अश्रुतपूर्वा II
नई दिल्ली। फिजी के शाहर नांदी में बारहवें विश्व हिंदी सम्मेलन का समापन हो गया। समापन समारोह में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है यह सम्मेलन आने वाले समय में हिंदी का महाकुंभ बनेगा। इसके साथ ही यह हिंदी को विश्व भाषा बनाने में लगे हिंदी प्रेमियों को एक बड़ा मंच देगा। उन्होंने कहा कि हिंदी को विश्व भाषा बनाने का लक्ष्य पाने के लिए जरूरी है कि सभी हिंदी प्रेमी मिल कर काम करें।
दूर देश के प्रमुख शहर नांदी में तीन दिन चले सम्मेलन में 30 से अधिक देशों के एक हजार से अधिक हिंदी विद्वानों और लेखकों ने हिस्सा लिया। समापन समारोह में फिजी के उप प्रधानमंत्री बिमान प्रसाद भी उपस्थित थे। उन्होंने सम्मेलन को फिजी के लिए ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि प्रधानमंत्री सितवेनी रबूका की सरकार देश में हिंदी को मजबूत करने के लिए सभी संभव कदम उठा रही है। सम्मेलन 15 फरवरी को आरंभ हुआ था। सत्रह फरवरी को इसका समापन हो गया।
समापन समारोह में विदेश मंत्री जयशंकर ने उम्मीद जताई कि विश्व हिंदी सम्मेलन भविष्य में हिंदी का महाकुंभ बन कर उभरेगा। उन्होंने प्रधानमंत्री रबूका को भरोसा दिया है कि भारत फिजी के साथ सांस्कृतिक संबंधों को और मजबूत करने के लिए कदम उठाएगा। जयशंकर ने खुलासा किया कि प्रधानमंत्री रबूका ने दोनों देशों की दोस्ती की तुलना के लिए फिल्म शोले का जिक्र किया। विदेश मंत्री के अनुसार, प्रधानमंत्री रबूका ने उन्हें बताया कि शोले उनकी सबसे पसंदीदा फिल्म है। इसका गाना ये दोस्ती, हम नहीं तोड़ेंगे, उन्हें बहुत प्रिय है।
जयशंकर ने सम्मेलन में हिस्सा लेने वालों का आभार जताते हुए ट्वीट किया, दुनिया भर से फिजी आए हिंदी के विद्वानों और हिंदी प्रेमियों से मिल कर अच्छा लगा। हिंदी के प्रति उनका प्रेम और इसके प्रचार के प्रति उनकी प्रतिबद्धता उल्लेखनीय है। उन्होंने एक और ट्वीट कहा कि तीन दिवसीय इस सम्मेलन में फिजी और भारत के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंधों की छवि साफ दिखाई दी। उन्होंने कहा, दोनों देशों की संस्कृति और परंपरागत विशेषताएं सम्मान और सहयोग का मजबूत आधार हैं।
समापन समारोह में देश-विदेश में हिंदी के प्रचार, प्रसार व विकास के लिए काम कर रहे 25 विद्वानों व संस्थाओं को सम्मानित भी किया गया। विदेश राज्यमंत्री वी मुरलीधरन ने बताया कि सम्मेलन के दौरान दस सत्रों में विभिन्न मामलों पर गंभीर चर्चा हुई और यह निष्कर्ष निकल कर आया कि हिंदी सशक्त भाषा है और तकनीक के साथ सामंजस्य बैठाने में सक्षम है।
सम्मेलन के आखिर में एक प्रतिवेदन जारी किया गया। इसमें कहा गया कि भारत और फिजी समेत विश्व के अन्य देशों के प्रतिनिधियों ने यहां विश्व हिंदी सम्मेलन में एक सुर में यह बात कही कि कृत्रिम मेधा जैसी आधुनिक सूचना, ज्ञान एवं अनुसंधान तकनीक का हिंदी माध्यम में प्रयोग कर भारतीय ज्ञान परंपरा को दुनिया की बहुत बड़ी जनसंख्या तक पहुंचाया जा सकता है।
प्रतिवेदन के अनुसार, सम्मेलन में विश्व हिंदी सचिवालय को बहुराष्ट्रीय संस्था के रूप में विकसित करने तथा प्रशांत क्षेत्र सहित विश्व के अन्य भागों में इसके क्षेत्रीय केंद्र स्थापित करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया। इसमें कहा गया कि सूचना प्रौद्योगिकी और कृत्रिम मेधा जैसी आधुनिक ज्ञान प्रणालियों का समुचित उपयोग करते हुए हिंदी मीडिया, सिनेमा और जनसंचार के विविध नए माध्यमों ने हिंदी को विश्व भाषा के रूप में विस्तारित करने की नई संभावनाओं के दरवाजे खोले हैं। (यह प्रस्तुति मीडिया में आई खबर पर आधारित)
समापन समारोह में देश-विदेश में हिंदी के प्रचार, प्रसार व विकास के लिए काम कर रहे 25 विद्वानों व संस्थाओं को सम्मानित किया गया।