अश्रुतपूर्वा II
नई दिल्ली। मूल किताब को स्कैन कर और चोरी-छिपे छाप बेचे जाने की समस्या से न केवल लेखक बल्कि प्रकाशक भी काफी समय से परेशान हैं। ऐसी किताबों को पहचानना कोई मुश्किल नहीं। विक्रेता इसे एक तो इसे सस्ते में बेचता है, वहीं इसकी छपाई भी साधारण होती है। कई चर्चित किताबों की पायरेटेड किताबें बाजार में आती रही हैं। पहले यह पीडीएफ तक सीमित था। मगर अब नकली किताबों का धंधा देश में बढ़ गया है। किताबों की पायरेसी से प्रकाशक को आर्थिक नुकसान होता रहा है। अब इसके खिलाफ प्रकाशक जागरूक हो रहे हैं। इस दिशा में पहल भी हो रही है।
पुस्तकों की पायरेसी की बढ़ती समस्या पर जागरूकता लाने के लिए पैंगुइन रैंडम हाउस इंडिया ने अपने कुछ लेखकों के सहयोग से एक अभियान शुरू किया है। प्रकाशक ने डिजिटल पुस्तक की पायरेसी की जानकारी देने के लिए एक नया टूल पेश किया है। इसे लिंक-बस्टर्स जैसी पायरेसीरोधी सेवा प्रदाता कंपनी के साथ साझेदारी में विकसित किया गया है।
पैंगुइन रैंडम हाउस इंडिया ने इस संबंध में बताया है कि यह पहल किताबों की पायरेसी से लड़ने और बौद्धिक संपदा अधिकारों के सम्मान को बढ़ावा देने के पेंगुइन के प्रयासों का हिस्सा है। एक बयान में प्रकाशक ने कहा कि सोशल मीडिया और प्रौद्योगिकी के अधिकार का इस्तेमाल करते हुए इस अभियान से जागरूकता आने की उम्मीद है।
पैंगुइन ने बीते 23 अप्रैल 2023 को विश्व पुस्तक और कॉपीराइट दिवस से पहले यह अभियान शुरू किया है। प्रकाशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी गौरव श्रीनागेश का कहना है कि यह अभियान पाठकों को किसी लिखित रचना के प्रकाशन में किए जाने वाले प्रयासों की शुचिता के संरक्षण का रुख अपनाने को प्रोत्साहित करेगा। (मीडिया में आए समाचारों पर आधारित)
नकली किताबों का धंधा देश में बढ़ गया है। किताबों की पायरेसी से प्रकाशकों को ही नहीं लेखकों को भीनुकसान होता है। अब इसके खिलाफ प्रकाशक जागरूक हो रहे हैं। पुस्तकों की पायरेसी की बढ़ती समस्या पर जागरूकता लाने के लिए पैंगुइन ने अपने लेखकों के सहयोग से अभियान शुरू किया है।