अश्रुतपूर्वा II
नई दिल्ली। दुनिया भर में लेखकों की हालत कोई अच्छी नहीं है। ज्यादातर लेखकों को जीवन यापन के लिए कहीं न कहीं नौकरी करनी ही पड़ती है। मगर अब वे अपने अधिकारों के लिए जागरूक हो रहे हैं। हिंदी सिनेमा में नायकों को करोड़ों की पारिश्रमिक मिलती है। लेखकों की कहानियों पर बनने वाली फिल्मों का बजट भारी-भरकम होता है मगर लेखकों को चंद लाख का पारिश्रमिक देकर संतोष करने पर मजबूर किया जाता है। मगर हॉलीवुड में ऐसा नहीं है। वहां लेखक एकजुट होने लगे हैं। उन्हें अभिनेताओं का भी साथ मिल रहा है।
खबर है कि हॉलीवुड में बेहतर पारिश्रमिक के लिए टेलीविजन और फिल्म लेखक मिल कर हड़ताल कर रहे हैं। इससे टेलीविजन पर देर रात आने वाले शो बंद हो गए हैं। उनकी जगह पुराने कार्यक्रम दिखाए जा रहे हैं। राइटर्स गिल्ड आॅफ अमेरिका के सदस्यों ने तो मैनहटन में एक इमारत के आगे नारेबाजी भी की। संगठन से जुड़े फिल्म और टीवी को 11,500 लेखक हॉलीवुड के स्टूडियो और प्रोडक्शन कंपनियों के पैरोकार व्यापार संघ के साथ नया अनुबंध नहीं हो पाने के कारण काम नहीं कर रहे हैं।
लेखकों का संगठन न्यूनतम वेतन में वृद्धि की मांग कर रहे हैं। हड़ताल में शामिल सीन क्रेस्पो कहते हैं, काम बहुत है और उसके मुकाबले वेतन बहुत कम है। वे टीबीएस के कार्यक्रम फुल फ्रंटल विथ सामंथा बी के लेखक हैं। इस प्रकार की हड़ताल से टीवी और अन्य प्रोडक्शन कंपनियों को नुकसान उठाना पड़ सकता है। स्टूडियो तथा प्रोडक्शन कंपनियों का प्रतिनिधित्व करने वाली द अलायंस आफ मोशन पिक्चर एंड टेलीविजन प्रोड्यूसर्स ने कहा कि उसने लेखकों के लिए भत्ते में सुधार का प्रस्ताव पेश किया है।
दूसरी ओर व्यापार संघ का कहना है कि वह अपने प्रस्ताव में सुधार करने के लिए तैयार है लेकिन वह ऐसा करने के असमर्थ है क्योंकि दूसरे कई प्रस्ताव हैं जिन पर गिल्ड अड़ा हुआ है। इस बीच अभिनेताओं के संगठन ने भी अपने सदस्यों को लेखकों के हक में आवाज उठाने की अपील की है। (मीडिया में आए समाचार पर आधारित)
हॉलीवुड में बेहतर पारिश्रमिक के लिए टेलीविजन और फिल्म लेखक मिल कर हड़ताल कर रहे हैं। इससे टेलीविजन पर देर रात आने वाले शो बंद हो गए हैं। उनकी जगह पुराने कार्यक्रम दिखाए जा रहे हैं।