अश्रुत तत्क्षण

ऐतिहासिक पांडुलिपियों को सहेजने की तैयारी

 अश्रुत पूर्वा II

नई दिल्ली। भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद देश भर में मौजूद स्थानीय भाषाओं में भारतीय संस्कृति एवं इतिहास से संबंधित सामग्री और पांडुलिपियों को इकट्ठा कर डिजिटल संग्रहालय तैयार कर रही है। इसके लिए अनेक क्षेत्रीय संस्थानों के साथ समझौता किया है। परिषद केसचिव उमेश अशोक कदम ने पिछले दिनों यह जानकारी दी।
सचिव के मुताबिक भारतीय संस्कृति एवं इतिहास से संबंधित स्थानीय भाषा स्रोतों पर डिजिटल ग्रंथालय तैयार किया जा रहा है। भारत के अनेक कस्बों में स्थानीय भाषाओं में इतिहास से जुड़ी समृद्ध जानकारी, संदर्भ और सामग्री मौजूद है। ये प्राचीन तेलुगू, तमिल, प्राकृत, मगही, कश्मीरी, ब्रज सहित अनेक स्थानीय भाषाओं में मौजूद हैं। कुछ निजी संगठनों और पुस्कालयों के पास भी ऐसी सामग्री उपलब्ध हैं और ऐसे में इन सभी को ढूंढ़ कर डिजिटल रूप में भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद की वेबसाइट पर डाला जा रहा है ताकि भविष्य के लिए संदर्भ सामग्री मौजूद रहे।
परिषद ने इस उद्देश्य के लिए सेंटर फॉर एडवांस स्ट्डीज आन मराठा, शिवाजी विश्वविद्यालय कोलहापुर, चौपासनी शिक्षा समिति, जोधपुर, नटनगर शोध संस्थान, मिथिक सोसाइटी बंगलुरू, नाम्ग्याल इंस्टीट्यूट आफ तिब्बतोलॉजी, सिक्किम सहित कुछ अन्य संस्थानों के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। शिवाजी विश्वविद्यालय कोल्हापुर के इतिहास विभाग के साथ जनवरी 2023 में समझौता किया गया। इसके तहत विश्वविद्यालय से मिले डाटा को परिषद की वेबसाइट पर डाला गया है।
इसी तरह से प्रताप शोध प्रतिष्ठान के साथ समझौता किया गया है। इस संस्थान के पास करीब 30 हजार पांडुलिपियां हैं और इनके डिजिटलीकरण की प्रक्रिया शुरू हो गई है। परिषद ने करवीर नगर वाचन मंदिर, राजाराम रोड कोल्हापुर के साथ करार किया है। इस संस्थान के पास करीब 15 हजार पांडुलिपियां हैं। नटनगर शोध संस्थान, सीतामउ, मध्यप्रदेश के साथ भी समझौता ज्ञापन किया है। इस संस्थान के पास करीब 50 हजार पांडुलिपियां हैं जिनमें दुर्लभ प्रकाशित पुस्तकें और हजारों पांडुलिपियां हैं। इनमें ज्यादातर ग्रंथ हिंदी, राजस्थानी, फारसी, मराठी और अंग्रेजी भाषा में लिखे गए इतिहास का प्रमुख संग्रह हैं।
भारतीय विद्या सांस्कृतिक मंडल पुणे, सरस्वती महान लाइब्रेरी तंजौर, असम के बुरंजी पांडुलिपियों से जुड़े संस्थानों तथा केरल और गुजरात के कुछ संस्थानों के साथ आने वाले समय में समझौता ज्ञापन किया जाएगा। परिषद जल्द ही नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर एक पुस्तक का भी लोकार्पण करेगी। यह पुस्तक चित्रों के संग्रह पर आधारित है जिसमें सुभाष चंद्र बोस के जीवन को प्रस्तुत किया गया है। परिषद ने वीर सावरकर पर 30 मिनट का एक वृत्तचित्र तैयार कराया है। इसे जल्द ही जारी किया जाएगा। (यह प्रस्तुति मीडिया में आई खबरों से)

तैयार हो रहा डिजिटल संग्रहालय
भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद देश भर के छोटे-छोटे कस्बों से पांडुलिपियों को इकट्ठा करने का अभियान चला रही है। स्थानीय भाषाओं में भारतीय संस्कृति और इतिहास से संबंधित सामग्री को सहेज कर रखा जाएगा। इसके लिए डिजिटल संग्रहालय तैयार किया जा रहा है।  

About the author

ashrutpurva

error: Content is protected !!