बाल कविता बाल वाटिका

चलो खेलें मिल कर लूडो

सांवर अग्रवाल II

मिल कर खेलें हम लूडो,
रंग-बरंगी गुट्टिया है,
गर्मी की अब छुट्टियां हैं।

रिंकी की लाल, चिंकी की नीली,
हरी बैठी है खाली,
गुड्डी ने ले ली पीली,
छक्का जब तक नहीं आएगा,
कोई चाल नहीं चल पाएगा।

सबसे पहले रिंकी के आया छक्का,
गुड्डी ने घुमाया मुक्का,
रिंकी करती है चीटिंग,
पासे के साथ की है सेटिंग।

रिंकी ने अब मुंह बनाया,
गुस्से से चेहरा तमतमाया,
मम्मी को बुलाती हूं,
तुम सबको मार खिलाती हूं।

अब तो गुड्डी का मन घबराया,
अच्छा-अच्छा, हम हारे जीती तुम,
मम्मी को तुम नहीं बुलाओ,
चलो अब खेलें छुपम-छुम।

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ashrutpurva

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