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लोगों को बांटने वाली दीवारें खड़ी की महामारी ने : मुराकामी

अश्रुत पूर्वा II

नई दिल्ली। कोविड-19 महामारी के बाद से उपजे डर व संदेह के कारण दीवारें खड़ी हो रही हैं। लोगों और देशों को विभाजित कर रही हैं। जापानी लेखक हारुकी मुराकामी ने पिछले दिनों यह बात कही। उन्होंने कहा कि आपसी विश्वास की जगह संदेह की भावनाओं के साथ हमारे चारों ओर दीवारें लगातार खड़ी की जा रही हैं। वे वेलेस्ले कालेज में बोल रहे थे। उनका यह भाषण राइटिंग फिक्शन इन द टाइम आफ पैनडेमिक एंड वॉर शीर्षक से शिनचोशा कंपनी की पत्रिका शिनचो मंथली में छपा है।
जापानी लेखक हारुकी मुराकामी ने कहा, ऐसा लगता है कि हर किसी के सामने एक विकल्प है- दीवारों के पीछे छिपना, सुरक्षा और यथास्थिति बनाए रखना या जोखिमों को जानना। उनके नए उपन्यास के नायक की तरह।
मराकामी का द सिटी एंड इट्स अनसर्टेन वाल्स अप्रैल में जापान में छपा था। अब 2024 में इसका अंग्रेजी अनुवाद आने की संभावना है। जैसा मुराकामी बताते हैं, नायक को दो दुनिया के बीच एक कठिन विकल्प का सामना करना पड़ता है: बिना किसी इच्छा या पीड़ा के शांति का एक अलग-थलग शहर, और दर्द और इच्छा तथा विरोधाभासों से भरी दीवारों से परे यथार्थ की दुनिया। उपन्यास एक कहानी पर आधारित है जो उन्होंने उपन्यासकार बनने के तुरंत बाद एक पत्रिका के लिए लिखी थी लेकिन कभी भी पुस्तक रूप में नहीं आई।
माराकामी ने कहा कि वे जानते हैं कि इसमें महत्त्वपूर्ण विचार हैं और इसे एक तरफ रख दिया क्योंकि वे इसे फिर से लिखना चाहते थे। लगभग 40 साल बाद, उन्होंने महसूस कि यह कहानी उस दौर के साथ पूरी तरह फिट बैठती है, जिसमें हम अब रहते हैं। मुराकामी ने मार्च 2020 में किताब लिखना शुरू किया, जब कोविड-19 दुनिया भर में फैलना शुरू हुआ और दो साल बाद इसे समाप्त कर दिया। इसके बाद यूक्रेन में युद्ध को एक साल पूरा हो गया।
उन्होंने कहा, मुराकामी ने कहा दो बड़ी घटनाओं ने मिल कर दुनिया को नाटकीय तरीके से बदल दिया। मुराकामी ने कहा, सुरक्षा की भावना जो वैश्विकता और पारस्परिक आर्थिक और सांस्कृतिक निर्भरता में एक आम विश्वास के साथ आई थी, यूक्रेन पर रूस के अचानक आक्रमण से चरमरा गई। उनके राष्ट्र जापान सहित कई देशों ने तब से अपनी सैन्य तैयारियों और बजट को बढ़ा दिया है। मुराकामी ने कहा कि चूंकि युद्ध बिना किसी अंत के जारी है, इसलिए देशों और व्यक्तियों के बीच लोगों के चारों ओर ऊंची दीवारें बनाई जा रही हैं।
उन्होंने कहा, ऐसा लगता है कि अगर कोई आपका सहयोगी नहीं है, तो वह आपका दुश्मन है और यह भावना फैल रही है। मुराकामी ने कहा, क्या हमारा एक-दूसरे पर भरोसा एक बार फिर हमारे संदेह को दूर कर सकता है? क्या ज्ञान भय पर विजय प्राप्त कर सकता है? इन सवालों के क्या जवाब हैं। तुरंत जवाब देने के बजाय हमें एक गहन जांच से गुजरना पड़ रहा है और इसमें समय लगेगा। (यह खबर मीडिया में आई खबरों पर आधारित)

जापानी लेखक हारुकी मुराकामी के मुताबिक अब हर किसी के सामने एक विकल्प है- दीवारों के पीछे छिपना, सुरक्षा और यथास्थिति बनाए रखना या जोखिमों को जानना।

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