बाल कविता बाल वाटिका

देखो चली रेल

सांवर अग्रवाल

रेल चली, हिली,
नीचे उतर मिली,
पहन ड्रेस नीली,
मत कर आंखें गीली।

लेने आए नाना,
गोद में चढ़ ना,
दुलारे नानी,
करूंगी मनमानी।

गर्मी की छुट्टी,
मामा लाए फ्रूटी,
ताप हुआ कम,
मन हुआ नरम।

आम का पेड़,
ठंडी छाया,
मामी आई शहर से,
शरबत मुझे पिलाया।

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ashrutpurva

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