कविता काव्य कौमुदी

पिता का होना …

पिता का होना
बारिश में छाते का होना है
वृक्ष की जड़ का होना है

घर छोड़ने की धमकी भी
ख़ामोशी से
सुनने वाले का होना है।

पिता के होने से
बेटी की व्याह की चिंता का होना है
मायका होना है

पिता का होना ही शाबासीं देने वाले
का होना है
तुम सफ़ल होगे यह सोचने वाले
का होना है
हारने पर
कोई बात नही,कहने वाले का होना है

पिता का होना
घर का होना है
किवाड़ में
साँकल का लगे होना है
अंधेरी कोठरी में
रोशनदान का होना है
क्षितिज की संभावना
का होना है
आसमान का होना है

पिता का होना ही
सारी उपमा का सत्य होना है।

About the author

santwana

सशक्त नारी चेतना के स्वर अपनी कविताओं में मुखरित करने वाली डाॅ सांत्वना श्रीकांत का जन्म जून1990 में म.प्र. में हुआ है।सांत्वना श्रीकांत पेशे से एक दंत चिकित्सक हैं। इनका प्रथम काव्य-संग्रह 'स्त्री का पुरुषार्थ' नारी सामर्थ्य का क्रान्तिघोष है।

इनकी कविताएँ प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं- गगनांचल, दैनिक भास्कर,जनसत्ता आदि में प्रकाशित होती रहती हैं।

साथ ही वे ashrutpurva.com जो कि साहित्य एवं जीवनकौशल से जुड़े विषयों को एक रचनात्मक मंच प्रदान करता है, की संस्थापिका एवं संचालिका हैं।

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