अश्रुत पूर्वा II
कहानीकार शंकर को राजकमल चौधरी स्मृति सम्मान दिया जाएगा। यह हर साल दो साल के अंतराल पर दिया जाता है। इसे कवि-सांपादक विष्णु चंद्र शर्मा ने मित्र निधि के माध्यम से शुरू किया है। यह चौथा स्मृति सम्मान है। इससे पहले यह सम्मान पंकज बिष्ट, इब्बार रब्बी और विजेंद्र को दिया जा चुका है। बता दें कि शंकर को उनके पहले कहानी संग्रह (1988) ‘पहिए’ से खास पहचान मिली। वे जन सरोकार वाले कथाकार के तौर पर स्थापित हुए।
इस बार के सम्मान के निर्णायक आलोचक जानकी प्रसाद शर्मा के मुताबिक कथाकार शंकर पांच दशक से सृजन कर रहे हैं। प्रगतिशील धारा के कहानीकारों में उनका विशेष स्थान है। सत्तर के दशक की कहानियों में प्रतिरोध का स्वर दिखता है, वह आगे और प्रखर होता चला गया। शंकर के छह कहानी संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। सम्मान समारोह दिल्ली में सितंबर में होगा।
कथाकार शंकर अपनी कहानियों में सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्य का गहराई से निरीक्षण करते हैं। उनमें एक कलात्मक अभिव्यक्ति होती है। कथाकार महेश दर्पण के मुताबिक श्ांकर अपनी रचनाओं के कथा-कहन के नए प्रयोगों के प्रति स्वयं को खुला रखते हुए कहानी के माध्यमगत वैशिष्टय का पूरा ध्यान रखते हैं। उनके लेखन ने कहानी की सृजन परंपरा में कुछ नए आयामों का बढ़ाया है। सबस बड़ी बात ये कि शंकर पचास वर्षो से लघु पत्रिका आंदोलन से जुड़े रहे हैं।