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स्वयं प्रकाश की स्मृति में सम्मान के लिए रचनाकारों से मांगी प्रविष्टियां

अश्रुत पूर्वा II

नई दिल्ली। स्वयं प्रकाश न्यास ने साहित्यकार स्वयं प्रकाश की स्मृति में दिए जाने वाले सम्मान के लिए प्रविष्टियां मांगी हैं। हर सम्मान प्रत्येक वर्ष दिया जाता है। न्यास के अध्यक्ष प्रो. मोहन श्रोत्रिय के मुताबिक राष्ट्रीय स्तर का यह सम्मान कहानी, उपन्यास और नाटक विधा की किसी ऐसी पुस्तक को दिया जाएगा, जो सम्मान के वर्ष से अधिकतम छह साल पहले छपी हो।
वर्ष 2023 के स्वयं प्रकाश स्मृति सम्मान के लिए एक जनवरी 2019 से 31 दिसंबर 2022 के के बीच छपी पुस्तकों पर विचार किया जाएगा। इस साल यह सम्मान उपन्यास विधा को देने का निर्णय किया गया है। रचनाकार की उम्र सीमा 50 साल रखी गई है। बता दें कि स्वयं प्रकाश न्यास साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में लगातार काम कर रहा है।
स्वयं प्रकाश स्मृति सम्मान प्रदान करने के लिए तीन निर्णायकों की समिति बनाई गई है। यह समिति प्रविष्टियों पर विचार कर किसी एक लेखक की रचना का चुनाव करेगी। इस सम्मान के अंतर्गत ग्यारह हजार रुपए, प्रशस्ति पत्र और शॉल भेंट में दिए जाते हैं।
राजस्थान में अजमेर के निवासी स्वयं प्रकाश का हिंदी कथा साहित्य में बड़ा योगदान है। उन्होंने करीब ढाई सौ कहानियां लिखीं। पांच उपन्यास भी प्रकाशित हुए। यही नहीं रेखाचित्र, संस्मरण, निबंध, नाटक और बाल साहित्य में भी उन्होंने महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। उन्हें साहित्य अकादेमी सहित कई संस्थाओं से पुरस्कार और सम्मान मिले। स्वयं प्रकाश के लेखन पर कुछ विश्वविद्यालयों में शोध कार्य भी हुआ है। कुछ पत्रिकाओं ने उनके साहित्य पर केंद्रित विशेषांक भी निकाले। उनका जन्म 20 जनवरी 1947 को हुआ था।  कैंसर के कारण स्वयं प्रकाश का सात दिसंबर 2019 को निधन हो गया था।
इस बार ‘बनास जन’ के संपादक और युवा आलोचक डा. पल्लव को स्वयं प्रकाश स्मृति सम्मान का संयोजक बनाया गया है, वे इस सम्मान से संबंधित सभी प्रक्रिया का संयोजन करेंगे। इस सम्मान के लिए प्रविष्टियां उनको 15 अगस्त 2023 तक बनास जन के पते (393, डीडीए, ब्लाक सी एंड डी, शालीमार बाग, दिल्ली-110088) पर भेजी जा सकती है। पिछले साल शिरीष खरे को यह सम्मान दिया गया था।  

इस साल यह सम्मान उपन्यास विधा को देने का निर्णय किया गया है।

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