अश्रुत तत्क्षण

अखिल को केरल साहित्य अकादेमी पुरस्कार

अश्रुत पूर्वा II

नई दिल्ली। संघर्षों से तप कर ही मनुष्य कुंदन की तरह निखरता है। केरल के 28 साल के नौजवान अखिल को ही लीजिए। आज लेखकों के बीच उनकी चर्चा है। केरल का यह जेसीबी चालक दिन भर परिश्रम करता है और रात में बैठ कर कहानियां लिखता है। सचमुच दिन भर काम करने के बाद लिखना आसान है क्या। इसमें न तो गरीबी उनके आड़े आई न वक्त की कमी। एक जुनून था लिखने का तो बस लिखते चले गए।
आखिर अखिल इन दिनों खबरों में क्यों हैं। दरअसल, केरल साहित्य अकादेमी ने उन्हें अपने प्रतिष्ठित सम्मान से क्या नवाजा वे चर्चा केंद्र में आ गए हैं। उन्हें अकादेमी का 2022 का प्रतिष्ठित गीता हिरण्यन एंडोमेंट पुरस्कार दिया गया है। अखिल महज बारहवीं उत्तीर्ण हैं। घर का सहारा बनने के लिए उन्हें अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी। बतौर जेसीबी चालक काम करते हुए वे प्राय: थक जाते हैं। मगर इससे उनका साहित्य के प्रति अनुराग कहीं से कम नहीं हुआ। काम खत्म कर वे लौटते और कहानियां लिखने के लिए अपने कंप्यूटर के आगे बैठ जाते।  
समय के साथ अखिल ने कई लघु कथाए लिखीं। फिर धीरे धीरे यह संग्रह के लायक हो गया। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि किसी भी सामान्य लेखक के लिए अपनी किताब का प्रकाशन अब उतना आसान नहीं रह गया, तो अखिल के सामने भी यही चुनौती थी। इसे छापे कौन? वह तब, जब लेखक गुमनाम हो। उसे कोई जानता न हो। यही हाल अखिल का था। उन्होंने पत्रिकाओं से संपर्क किया मगर कोई जवाब नहीं। प्रकाशकों से बात की। मगर वे भी उसकी लघुकथाओं का संग्रह छापने को राजी नहीं हुए। ज्यादातर का कहना था कि आपको तो कोई जानता नहीं। कौन खरीदेगा इसे और कैसे बिकेगी किताब।
आज यह चुनौती उन सभी लेखकों के सामने है जिनकी आज तक कोई कृति सामने नहीं आई है। फिर अखिल तो एक एक तरह से दिहाड़ी मजदूर हैं। उन्हें भला कौन पूछे। यह अच्छी बात है कि उन्होंने हार नहीं मानी। आजकल ज्यादातर प्रकाशक लेखक से एक निश्चित राशि लेकर किताबें छापने का व्यवसाय धड़ल्ले से कर रहे हैं। लेखक की कृति बाजार में आ जाती है और प्रकाशक की जेब थोड़ी और मोटी हो जाती है। अखिल के सामने यही विकल्प था।
इस तरह एक गुमनाम लेखक की कहानियों का संग्रह ‘नीलाचदयन’ सामने आया। यह उनकी पहली साहित्यिक कृति है। उनकी थोड़ी पहचान बनी। थोड़ी चर्चा शुरू हुई। और वे मशहूर तब हुए जब उनको केरल साहित्य अकादेमी ने अपना प्रतिष्ठित पुरस्कार देने का फैसला किया। खुद को कुंदन की तरह तपाने वाले अखिल आज देश भर में चर्चा में हैं। हमें उनसे सीखना चाहिए कि मेहनत एक दिन जरूर रंग लाती है। बधाई अखिल।

अकादेमी के प्रतिष्ठित सम्मान से जेसीबी चालक अखिल चर्चा केंद्र में आ गए हैं।

About the author

ashrutpurva

error: Content is protected !!