आज से कोई दो साल पहले जब अश्रुतपूर्वा की स्थापना हुई थी, तब ज्यादातर लोगों की धारणा थी कि यह साहित्य की वेवसाइट है, कितने दिन चलेगी। कई लोग साथ जुड़े, कई लोग बिछड़ भी गए। मगर अश्रुतपूर्वा का कारवां चलता रहा। जितना संभव था इसके माध्यम से हम लोगों के मन में चेतना की मशाल जलाते रहे। यह मुश्किल काम था। बिना किसी उपार्जन के और छोटी सी टीम के बूते अश्रुतपूर्वा ने मानवीय संवेदना को संरक्षित करने और साहित्य को सरोकार से जोड़ने की जो अलख जगाई, वह सुप्त नहीं हुई।
इस स्वतंत्रता दिवस पर यह बताते हुए खुशी हो रही है कि अन्य साहित्यिक वेबसाइट से होड़ करने के बजाय बेहद खामोशी से कार्य करते हुए हम देश के 70,000 से अधिक सुधी पाठकों तक पहुंचने में सफल रहे। हम बेहद धीमी गति से चल रहे हैं, मगर बढ़ रहे हैं। साहित्य की हर हलचल पर है हमारी नजर। देश के किसी भी कोने में साहित्य संबंधी हर समाचार अब अश्रुत पूर्वा पर उपलब्ध है। समाज, सरोकार और समाचार से आपको जोड़े रखना ही हमारा ध्येय है। बस आप हमसे जुड़े रहें। यही अपेक्षा है आपसे।
स्वतंत्रता दिवस पर सभी पाठकों को हमारी शुभकामनाएं।

डॉ. सांत्वना श्रीकांत
संस्थापक