हितोपदेश बाल वाटिका

याद आते हैं आजादी के सिपाहियों के बोल

देश की आजादी के लिए जिन्होंने अपने प्राण न्योछावर कर दिए, उनमें से कई स्वतंत्रता सेनानियों के अनमोल वचन हमें आज भी याद आते हैं। खास तौर से गांधी, तिलक और सुभाषचंद्र बोस। आइए आजादी के पावन पर्व पर कुछ के अनमोल वचनों को याद करें।

  • 1 – करो या मरो- यह देश का सबसे प्रसिद्ध नारा है जो राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने दिया था।
  • स्वराज मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है, और मैं इसे लेकर रहूंगा – यह सुप्रसिद्ध नारा लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने दिया था।
  • तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा- नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने देश के लोगों में चेतना भरने के लिए यह नारा दिया था।
  • इंकलाब जिंदाबाद- यह नारा युवा सेनानी शहीद भगत सिंह ने दिया था।
  • आराम हराम है- यह सुप्रसिद्ध नारा जवाहरलाल नेहरू ने दिया था।
  • सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है देखना है जोर कितना बाजु-ए-कातिल में है- देशवासियों के बीच देशभक्ति की भावना जगाता यह नारा राम प्रसाद बिस्मिल ने दिया था।
  • मेरा नाम आजाद है मेरे पिता का नाम स्वाधीनता है और मेरा घर जेलखाना है-  चंद्रशेखर आजाद
  • जाऊंगा खाली हाथ मगर ये दर्द साथ ही जाएगा, जाने किस दिन हिंदोस्तां आजाद वतन कहलाएगा – अशफाक उल्लाह खान
  • मैं इस उजड़े हुए भारत का यक मामूली जर्रा हूं, यही बस यक पता मेरा यही नामों निशां मेरा – करतार सिंह सराभा।
  • मेरे शरीर पर पड़ी एक-एक लाठी ब्रिटिश सरकार के ताबूत में एक-एक कील साबित होगी-  लाला लाजपत राय।
  • मैं मरने नहीं जा रहा अपितु भारत को स्वतंत्र कराने के लिए पुर्नजन्म लेने जा रहा हूं- राजेन्द्र नाथ लाहिड़ी।
  • जिंदगी जिंदा-दिली को जान-ए-रोशन वरना कितने ही यहां रोज फना होते हैं। ठाकुर रोशन सिंह।

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