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देश के भविष्यदृष्टा कवि थे नंद चतुर्वेदी

अश्रुत पूर्वा डेस्क II

नई दिल्ली। कवि एवं साहित्यकार डॉ. अंबिकादत्त ने कहा कि नंद चतुर्वेदी परंपराओं का सम्मान करने वाले कवि थे। वे अपनी बात सहज ढंग से रखते थे। डॉ. दत्त उदयपुर में नंद चतुर्वेदी शताब्दी स्मरण कार्यक्रम में बोल रहे थे। इस कार्यक्रम को वर्धमान महावीर मुक्त विद्यालय और राज्स्थान साहित्य अकादमी ने पिछले दिनों आयोजित किया। अध्यक्षता कुलपति कैलाश सोडाणी ने की। बीज वक्तव्य दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कालेज के डॉ. पल्लव ने दिया।
कार्यक्रम में उपस्थित डॉ. अतुल चतुर्वेदी ने कहा कि नंद बाबू समाजवाद से प्रेरित थे। यही उनकी लेखनी का मूल आधार था। उन्होंने नंद चतुर्वेदी से जुड़े कई संस्मरण भी सुनाए। वहीं डॉ. पल्लव ने कहा कि नंद बाबू आसपास की घटनाओं पर बारीक नजर रखते थे। वे हमेशा आम आदमी के पक्ष में खड़े दिखे। उनकी कविताओं में अतीत का चित्रण दिखता है। वे एक भविष्यदृष्टा कवि थे।
इस अवसर पर वीओएमयू के कुलपति प्रोफेसर सोडाणी ने कहा कि नंद बाबू विद्वान थे। उनसे बहुत कुछ सीखने को मिलता था। जबकि कवि महेंद्र नेह ने कहा कि नंद बाबू समय के साथ चलते थे। साहित्यकार पुरुषोत्तम पंचोली ने नंद चतुर्वेदी ने कहा कि कुछ संस्मरणों का जिक्र करते हुए नंद चतुर्वेदी के साथ अपने आत्मीय साथ का उल्लेख किया। जबकि अरुण चतुर्वेदी ने कहा कि नंद बाबू का कोटा से गहरा लगाव रहा। यह उनकी रचनाओं में दिखता है।

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