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लेखिका सारा बर्नस्टीन को गिलर पुरस्कार

अश्रुत पूर्वा संवाद II

नई दिल्ली। उपन्यास ‘स्टडी फार ओबिडिएंस’ के लिए लेखिका सारा बर्नस्टीन को पिछले दिनों स्काटियाबैंक गिलर पुरस्कार प्रदान किया गया। सारा ने स्काटलैंड में आनलाइन माध्यम से पुरस्कार में मिली राशि स्वीकार की। यहीं उन्होंने कुछ दिन पहले शिशु को जन्म दिया है। सारा का पुरस्कृत उपन्यास एक ऐसी युवती के बारे में है जिसके जीवन में एक के बाद एक घटनाएं होती हैं।
गिलर पुरस्कार की स्थापना 1994 में व्यवसायी जैक राबिनोविच ने अपनी दिवंगत पत्नी साहित्य पत्रकार डोरिस गिलर की याद में की थी। इस पुरस्कार के अंतर्गत एक लाख कनाडाई डॉलर (72 हजार अमेरिकी डॉलर) प्रदान किए जाते हैं। यह पुरस्कार सर्वश्रेष्ठ कनाडाई लेखन के लिए दिया जाता है। इससे पहले गिलर पुरस्कार मार्गरेट एटवुड, मोर्दकै रिचलर और एलिस मुनरो को मिल चुका है।
बता दें कि जब सारा के नाम की घोषणा हुई तो उसी समय एक प्रदर्शनकारी ने इजराइल विरोधी नारे लगाने शुरू कर दिए। इससे कुछ देर के लिए कार्यक्रम का प्रसारण रुक गया। नतीजा यह हुआ कि आयोजकों को गिलर पुरस्कार के लिए सारा के नाम की घोषणा दोबारा करनी पड़ी। खबरों में बताया गया कि पुरस्कार समारोह की शुरुआत में ही इजराइल विरोधी कई लोग मंच पर पहुंच गए थे।  
सारा बर्नस्टीन कनाडाई लेखिका हैं। उनका जन्म मॉन्ट्रियल में हुआ था। इस समय वे स्कॉटलैंड में रहती हैं जहां वह साहित्य और रचनात्मक लेखन पढ़ाती हैं। उन्होंने शेफील्ड, एडिनबर्ग और स्ट्रैथक्लाइड विश्वविद्यालयों में पढ़ाया है। उनकी गद्य कविताओं का संग्रह नाउ कम्स द लाइटनिंग 2015 में प्रकाशित हुआ था। इसे नवोन्मेष लेखन के लिए रॉबर्ट क्रोएत्श पुरस्कार के लिए चुना गया था। उनका पहला उपन्यास ‘द कमिंग बैड डेज’ 2021 में प्रकाशित हुआ था। उनका अगला उपन्यास स्टडी फॉर ओबेडिएंस 2023 बुकर पुरस्कार के लिए चुना गया था। अब इसे 2023 का गिलर पुरस्कार मिला है। 2023 में, बर्नस्टीन को ग्रांटा पत्रिका द्वारा ब्रिटेन के सर्वश्रेष्ठ युवा लेखकों में से एक के रूप में नामित किया गया था।

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