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कवयित्री रूपी कौर ने क्यों ठुकराया अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन का निमंत्रण

अश्रुत पूर्वा संवाद II

नई दिल्ली। भारतीय मूल की कनाडाई कवयित्री रूपी कौर कुछ दिनों से चर्चा में हैं। वे गाजा पर हमले और वहां के हालात से इतनी नाराज हैं कि उन्होंने दिवाली कार्यक्रम में आने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के निमंत्रण को ठुकरा दिया है। बता दें कि इस कार्यक्रम की मेजबानी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस कर रही हैं। इजराइल-हमास युद्ध में अमेरिका की भूमिका पर सवाल उठाया है और कहा कि गाजा में बच्चों के संहार पर देश चुप है।
कवयित्री रूपी कौर ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा है कि मैं ऐसी संस्था के किसी भी निमंत्रण को अस्वीकार कर रही हूं जो नागरिक आबादी को सामूहिक सजा देने का समर्थन करती है। वो भी उस आबादी में जहां 50 फीसद बच्चे हैं। कवयित्री ने कहा कि अचरज की बात है कि इस प्रशासन को दिवाली मनाना स्वीकार्य लगता है। रूपी कौर ने अन्य दक्षिण एशियाई लोगों से भी निंदा करने और बाइडेन प्रशासन को जिम्मेदार ठहराने का आग्रह किया है।
‘मिल्क एंड हनी’ से चर्चित हुर्इं कवयित्री ने यह भी कहा कि एक सिख महिला के रूप में बाइडेन प्रशासन के कार्यो को सही नहीं ठहरा सकती। इससे आगे बढ़ कर उन्होंने कहा कि जब सरकार के काम दुनिया में कहीं भी लोगों को अमानवीय बनाते हैं तो यह आह्वान करना हमारी नैतिक अनिवार्यता है। उन्होंने कहा कि अमेरिकी सरकार न सिर्फ गाजा पर हमले में आर्थिक सहायता कर रही है बल्कि शरणार्थी शिविरों की भी परवाह नहीं कर रही। सार्वजनिक सुविधाओं को भी नष्ट किया जा रहा है।
रूपी कौर कनाडा की प्रसिद्ध कवयित्री हैं। उनके संग्रह की एक करोड़ से ज्यादा प्रतियां बिक चुकी हैं। यही नहीं उसका कई भाषाओं में अनुवाद किया जा चुका है। रूपी को न्यू पब्लिक ने ‘दशक की लेखिका’ माना है। फोर्ब्स अंडर 30 सूची में भी उन्हें जगह मिली है। पिछले साल रूपी की चौथी किताब ‘हीलिंग थ्रू वर्ड’ आई थी। वे प्रेम, प्रवासन और नारीवाद आदि पर मुख्य रूप से लिखती हैं। उनका जन्म पंजाब में हुआ था। जब वे तीन साल की थीं तभी माता-पिता के साथ कनाडा चली गई थीं।

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