अश्रुत पूर्वा II
नई दिल्ली। सीओपीडी (क्रोनिक आॅब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) फेफड़ों की एक स्थिति है जो सांस लेने में तकलीफ और लगातार खांसी की वजह बनती है। अब जबकि देश के कई हिस्सों में प्रदूषण बढ़ने लगा है तो ऐसे में हमें अपने फेफड़ों को स्वस्थ रखने के लिए सजग रहना चाहिए।
सीओपीडी होने का सबसे आम लक्षण है कफ का निकलना। सांस में कमी। ये लक्षण लंबी अवधि के लिए बने रहते हैं। आम तौर पर समय के साथ बिगड़ते जाते हैं। लक्षणों की पहचान होने से पहले स्पिरोमेट्री ही ऐसी जांच है जो सीओपीडी का पता लगा सकती है। स्पिरोमेट्री एक तरह से फेफड़े का कार्य परीक्षण है जो मापता है कि आप सांस लेने के बाद कितनी हवा बाहर छोड़ते हैं।
सांस लेने में कठिनाई या सांस छोड़ना मुश्किल लगे तो इसे चेतावनी समझें। बलगम, जिसे कफ भी कहा जाता है, ये संक्रमण या जलन से बचाव के लिए वायुमार्ग द्वारा निर्मित होता है। अगर आपका बलगम एक महीने या उससे ज्यादा समय तक बना रहता है, तो यह फेफड़ों की बीमारी का संकेत हो सकता है।
यदि आपकी सांस सामान्य है और आसानी से आती है, स्थिर है और आपको अच्छा महसूस कराती है या इतनी नियमित है कि आप इसे बिल्कुल नोटिस नहीं करते हैं, तो संभवत: आपके फेफड़े स्वस्थ हैं। अब सवाल है कि फेफड़े के लिए कौन सी जांच करनी चाहिए?
सबसे बुनियादी परीक्षण स्पिरोमेट्री है। यह परीक्षण फेफड़ों द्वारा धारण की जा सकने वाली हवा की मात्रा को मापता है। परीक्षण यह भी मापता है कि कोई व्यक्ति फेफड़ों से कितनी ताकत से हवा निकाल सकता है। स्पिरोमेट्री का उपयोग फेफड़ों की मात्रा को प्रभावित करने वाली बीमारियों की जांच के लिए किया जाता है।
फेफड़ों को ठीक रखेगी ये पांच चीजें
1-कच्चे और ताजे खाद्य पदार्थ ज्यादा खाएं फेफड़ों को स्वस्थ रखने के लिए आपको प्रोसेस्ड फूड्स का कम सेवन करना चाहिए।2-स्वस्थ वसा (हेल्दी फैट) का अधिक सेवन करें।
3-सब्जियों का सेवन बढ़ा दें।
4-पर्याप्त मात्रा में नियमित प्रोटीन लें।
5-ढाई तीन लीटर पानी नियमित पिएं।
बीमारी की स्थिति में तुरंत योग्य और अनुभवी चिकित्सक से मिलें।
(स्रोत : हील इनिशिएटिव। यह आलेख जागरूकता के लिए। )