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प्रो. रामदरश मिश्र को सरस्वती सम्मान देने की घोषणा

फोटो साभार : गूगल

अश्रुत पूर्वा II

केके बिड़ला फाउंडेशन ने प्रोफेसर रामदरश मिश्र को सरस्वती सम्मान देने की घोषणा की है। मिश्र को उनके काव्य संग्रह ‘मैं तो यहां हूं’ का वर्ष 2021 के 31वें सरस्वती सम्मान के लिए चयन किया गया है। यह काव्य संग्रह 2015 में प्रकाशित हुआ था।

रामदरश मिश्र हिंदी साहित्य के बहुआयामी रचनाकार हैं। उन्होंने गद्य एवं पद्य की लगभग सभी विधाओं में लिखा है। चार बड़े और आठ लद्यु उपन्यासों में मिश्र जी ने गांव और शहर की जिंदगी की जटिलताओं और सघन यथार्थ की गहरी पहचान की है। श्री मिश्र की साहित्यिक प्रतिभा बहुआयामी है। उन्होंने कविता, कहानी, उपन्यास, आलोचना और निबंध जैसी प्रमुख विधाओं में तो लिखा ही है, आत्मकथा-. सहचर है समय, यात्रा वृत्त तथा संस्मरण भी लिखे हैं। यात्राओं के अनुभव तना हुआ इन्द्रधनुष, भोर का सपना तथा पड़ोस की खुशबू में अभिव्यक्त हुए हैं।

केके बिरला फाउंडेशन हर वर्ष लब्धप्रतिष्ठित साहित्यकारों सम्मानित करता है। यह पुरस्कार हर साल किसी भारतीय साहित्यकार की एक ऐसी उत्कृष्ट कृति को दिया जाता है जो भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में उल्लिखित किसी भी भारतीय भाषा में सम्मान वर्ष से ठीक पहले दस साल की अवधि में प्रकाशित हुई हो। सरस्वती सम्मान पाने वाले साहित्यकार को 15 लाख रुपए की राशि के साथ प्रशस्ति पत्र तथा प्रतीक चिह्न भेंट किया जाता है।

रामदरश मिश्र हिंदी साहित्य के बहुआयामी रचनाकार हैं। उन्होंने गद्य एवं पद्य की लगभग सभी विधाओं में लिखा है। चार बड़े और आठ लद्यु उपन्यासों में मिश्र जी ने गांव और शहर की जिंदगी की जटिलताओं और सघन यथार्थ की गहरी पहचान की है। श्री मिश्र की साहित्यिक प्रतिभा बहुआयामी है।

बता दें कि इस पुरस्कार के लिए चयन प्रक्रिया से विभिन्न भाषाओं के के मूर्धन्य साहित्यकार जुड़े हैं। केके बिड़ला फाउंडेशन साल 1991 से हर साल यह पुरस्कार प्रदान कर रहा है। इसके तहत साहित्य की किसी भी विधा में रचित कृति को पुरस्कार के लिए विचार किया जाता है। साहित्य अकादेमी पुरस्कार और ज्ञानपीठ पुरस्कार के बाद यह शीर्षस्थ सम्मान में से एक है जो किसी उत्कृष्ट साहित्यिक कृति के लिए दिया जाता है।

केके बिरला फाउंडेशन साहित्य में तीन बड़े सम्मान, सरस्वती सम्मान (हिंदी व संस्कृत सहित सभी भारतीय भाषाओं के लिए) इसके बाद व्यास सम्मान (हिंदी के लिए) और तीसरा बिहारी पुरस्कार (राजस्थान के हिन्दी/ राजस्थानी लेखकों के लिए) प्रदान करता है।

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Ashrut Purva

1 Comment

  • अब तक की यह परम्परा रही है कि विभिन्न हिंदी पुरस्कार हिंदी साहित्य लेखन का मानक बनाया जाता रहा है। यह एक साहित्यिक षड्यंत्र और पुरस्कार ग्रंथावली की रचना का प्रयास है। कृपया यह परम्परा चलाने का प्रयास किया जाए कि हिंदी साहित्य लेखन से जुड़कर विभिन्न साहित्यिक पुरस्कार लाभान्वित हुए। नई सोच, नई खोज😊

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