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जब बच्चे का सिर लेने लगा था तिकोना आकार

डॉ. सोनल एमसीएच और डीएनबी न्यूरो सर्जरी की डिग्री रखने वाले भारत के गिने-चुने न्यूरो सर्जनों में से एक हैं। वे वास्कुलर और मिनिमली इनवेसिव स्पाइन सर्जरी और स्कल बेस न्यूरो सर्जरी की विशेषज्ञ हैं। वे मैक्स अस्पताल की वरिष्ठ सलाहकार रह चुकी हैं।

डॉ सोनल गुप्ता, न्यूरो सर्जन II

कोई डेढ़ साल पहले मेरे पास एक नवजात शिशु के सिर से जुड़ा दुर्लभ मामला आया। दो महीने के इस शिशु की स्कल (खोपड़ी) गोल होने के बजाय तिकोना आकार ले रही थी। इससे बच्चे का दिमाग विकसित नहीं हो रहा था। वजह यह थी इस शिशु की खोपड़ी की हड्डियां समय से पहले जुड़ गई थीं। ट्रिगोनोसेफलरी नामक न्यूरोलॉजिकल रोग से पीड़ित बच्चे का सिर असामान्य आकार ले रहा था।

यह चिंता की बात थी। क्योंकि ऐसी हालत में आगे चल कर शिशु का दिमाग विकसित नहीं होने का अंदेशा था। दूसरी ओर उसकी आंखें कहीं ज्यादा उभरती दिखाई दे रहीं थीं। मैं करीब 25 साल से न्यूरो सर्जन हूं। यह निसंदेह जटिल मामला था। मगर मैंने और मेरी टीम ने इस बच्चे को स्वस्थ करने की चुनौती कबूल की। सबसे पहले हमारी टीम ने बच्चे के सिर की थ्रीडी डमी बना कर आगे की कार्रवाई के लिए अभ्यास शुरू किया। एक योजना बना कर बच्चे के सिर को गोल आकार देने के लिए पूरी प्रक्रिया तय की।

यह बच्चा बागपत में रहने वाले परिवार का था। पैदा होने के बाद दो महीने में ही उसका सिर ट्राइंगल शेप लेने लगा था। सारी जानकारी लेकर हमने उसका सीटी स्कैन कराया। स्कल (खोपड़ी) में छह अलग-अलग हड्डियां होती हैं, जो आम तौर पर नौ महीने से लेकर 18 महीने में जुड़ती हैं। जिससे खोपड़ी गोल आकार लेती हैं। मगर हैरानी की बात थी कि उसकी हड्डियां दो महीने में ही जुड़ गई थीं। जिससे गोल होने के बजाय उसका माथा तिकोना होता जा रहा था। उसकी आंखें बाहर की तरफ निकलतीं दिख रही थीं। इसे समय रहते ठीक नहीं किया जाता तो बच्चे के आईक्यू पर असर पड़ सकता था।

  • यह बच्चा बागपत में रहने वाले परिवार का था। पैदा होने के बाद दो महीने में ही उसका सिर ट्राइंगल शेप लेने लगा था। हमने सीटी स्कैन कराया। स्कल (खोपड़ी) में छह अलग-अलग हड्डियां होती हैं, जो आम तौर पर नौ महीने से लेकर 18 महीने में जुड़ती हैं। जिससे खोपड़ी गोल आकार लेती हैं। मगर हैरानी की बात थी कि उसकी हड्डियां दो महीने में ही जुड़ गई थीं। जिससे गोल होने के बजाय उसका माथा तिकोना होता जा रहा था।   

यह सचमुच दुर्लभ मामला था। वैसे भी बच्चे की उम्र मात्र दो महीने थी। क्या इतना छोटा बच्चा सर्जरी को झेल पाएगा। यह सवाल मेरे मन में था। मेरी टीम की भी यही चिंता थी। इसलिए हमने हर तीन महीने पर उसका फॉलोअप किया। जब बच्चा 18 महीने का हो गया, तब हमने उसका आपरेशन करने का फैसला किया। यह हमारी टीम के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण था। इसलिए हमने सबसे पहले डमी पर अभ्यास किया।

हमने बच्चे के सिर का सीटी स्कैन कराया। इसके बाद थ्रीडी पेंटिंग्स तैयार की गई। इसके बाद डमी पर सर्जरी की गई। किस हड्डी को कहां से तोड़नी है और कहां जोड़नी है इसकी पूरी प्रैक्टिस की गई। इसके बाद आपरेशन की तैयारी की गई। सुबह साढ़े दस बजे बच्चे की सर्जरी शुरू हुई जो शाम छह बजे तक चली। इसके बाद उसको तीन दिन आईसीयू में रखा गया। फिर उसे तीन दिन वार्ड में रखा। इसके बाद उसे छुट्टी दे दी गई।

इस बच्चे के स्कल को उचित आकार देने में प्लास्टिक सर्जन ऋची गुप्ता ने अहम भूमिका निभाई। उन्होंने बच्चे की क्रेनियो फेशियल सर्जरी की। दरअसल, बच्चे के सिर के अगले भाग की हड्डियों को हटाने के बाद क्रेनियो फेशियल रिमॉडलिंग की गई। उसके ब्रेन और आंखों को सुरक्षित रखने के उपाय भी किए गए। हमने मॉडल सर्जरी के मुताबिक सभी हड्डियों को सही आकार दिया। इस तरह साढ़े सात घंटे चली सर्जरी के बाद हमें एक बड़ी कामयाबी मिली।

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ashrutpurva

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