अश्रुत पूर्वा II
नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि मौलिक प्रतिभा का विकास मातृभाषा में अधिक प्रभावी ढंग से हो सकता है। उन्होंने कहा कि जब शिक्षक मातृभाषा में पढ़ाते हैं तो विद्यार्थी अधिक सहजता से अपनी प्रतिभा का विकास कर सकते हैं। राष्ट्रपति मुर्मू राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार समारोह को संबोधित कर रही थीं।
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि भारत की स्कूली शिक्षा दुनिया की सबसे बड़ी शिक्षा प्रणालियों में से एक है।
राष्ट्रपति ने कहा, मैं मानती हूं कि विज्ञान, साहित्य और सामाजिक शास्त्र में मौलिक प्रतिभा का विकास मातृभाषा के माध्यम से अधिक प्रभावी हो सकता है। हमारी मांताएं शुरू से जीवन जीने की कला सिखाती है। मां के बाद शिक्षक ही हमारे जीवन में शिक्षा को आगे बढ़ाते हैं। ऐसे में शिक्षक मातृभाषा में पढ़ाते हैं तो विद्यार्थी सहजता से अपनी प्रतिभा का विकास कर सकते हैं। इसीलिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भारतीय भाषाओं के प्रयोग पर जोर दिया गया है। राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि भारत की स्कूली शिक्षा दुनिया की सबसे बड़ी शिक्षा प्रणालियों में से एक है।
इस मौके पर राष्ट्रपति ने शिक्षकों से कहा कि कि वे विद्यार्शियों में सवाल पूछने और शंका करने की आदत को प्रोत्साहित करें।