आर्ट गैलरी जीवन कौशल

‘लहरों पर तिरती किरणें’

सांत्वना श्रीकांत II

लहरों पर उतरी है चुपचाप … किसके पैरों की पदछाप !
अरुणिमा का छलका रूप .. पिघले सोने जैसी धूप

गहराता संध्या का पाश ..
डुबा रही सागर में पाँव .. थके हुए सूरज की छाँव
लहरें पर किरणें तिरती हैं,किस ओर इशारा करती हैं ..
मझधार पे लाकर पूछे नैय्या-बोल सखी तेरा कौन खेवैया

About the author

santwana

सशक्त नारी चेतना के स्वर अपनी कविताओं में मुखरित करने वाली डाॅ सांत्वना श्रीकांत का जन्म जून1990 में म.प्र. में हुआ है।सांत्वना श्रीकांत पेशे से एक दंत चिकित्सक हैं। इनका प्रथम काव्य-संग्रह 'स्त्री का पुरुषार्थ' नारी सामर्थ्य का क्रान्तिघोष है।

इनकी कविताएँ प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं- गगनांचल, दैनिक भास्कर,जनसत्ता आदि में प्रकाशित होती रहती हैं।

साथ ही वे ashrutpurva.com जो कि साहित्य एवं जीवनकौशल से जुड़े विषयों को एक रचनात्मक मंच प्रदान करता है, की संस्थापिका एवं संचालिका हैं।

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