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भक्तों की सभी विपदा हरने फिर आई हैं मां

अश्रुतपूर्वा II

नई दिल्ली। अपने भक्तों की सभी विपदा हरने मां फिर चली आई हैं। वैसे तो अपने भक्तों के लिए मां हर पल मौजूद रहती हैं, मगर साल में दो बार यानी चैैत्र और आश्विन में विशेष रूप से हमारे बीच आती हैं। इस समय की प्रतीक्षा सभी करते हैं। नवरात्र त्रतु परिवर्तन का भी प्रतीक हैं। भक्तों का संकट दूर करने के लिए और उन्हें साहस और शक्ति प्रदान करने के लिए मां का अवतरण होता है। चैत्र नवरात्र का समापन भगवान के जन्म यानी रामनवमी से होता है। अश्विन नवरात्र में देवी के नौ स्वरूपों की विधिवत पूजा होती है।

मां हर साल नवरात्रि पर अपने भक्तों के कल्याण करने आती हैं। जब वे आती हैं तो सिंह पर सवार होती हैं। मगर इस बार हाथी पर सवार होकर आई हैं। कहते हैं कि मां जब भी हाथी पर सवार होकर आती हैं उस वर्ष देश में खुशहाली आती हैं। भक्तों के जीवन में सुख-समृद्धि आती है। तो मां फिर आई हैं आपका उद्धार करने। उनके सभी रूपों की आराधना विधि-विधान से कीजिए।

नवरात्र के कुछ नियम

  • कहते हैं नवरात्र में हर व्यक्ति को व्रत रखना चाहिए। व्रत न भी रख पाएं तो पूरे मन से मां दुर्गा की पूजा-अर्चना अवश्य कीजिए। जिसका जितना सामर्थ्य हो, उसी अनुसार व्रत करे। कई लोग दिन भर भूखे नहीं रह सकते। वे दिन में दूध और फलों का रस ले सकते हैं। यों भी व्रत रखने वाला व्यक्ति आने वाले छह महीने तक निरोग रहता है। नवरात्र के दौरान याद रखने योग्य कुछ नियम इस तरह हैं-
  • नवरात्र के दौरान बिस्तर पर सोना वर्जित है। इसलिए व्रतियों को इसका पालन करते हुए जमीन पर सोना चाहिए।
  • नवरात्र के दौरान बाल कटवाना या दाढ़ी बनाना वर्जित होता है। इसलिए इस नियम का पालन करें।
  • नवरात्र करने वाले व्यक्ति को कभी झूठ नहीं बोलना चाहिए वरना उसे मां का आशीर्वाद नहीं मिलता।

शुद्ध और सात्विक रहें

  • नवरात्रों के दौरान मां दुर्गा की स्तुति करने वाले को ब्रह्मचर्य का पालन अवश्य करना चाहिए। ब्रह्मचर्य का पालन न करने वाला व्यक्ति इस व्रत के फल से वंचित रह जाता है। उसकी शक्ति भी क्षीण हो जाती है।

नवरात्र का है अपना महत्व

  • नवरात्र की पूजा आम दिनों की पूजा से कहीं अधिक कठिन और श्रेष्ठ होती है। नौ दिन तक चलने वाली इस पूजा में प्रतिमा और कलश स्थापना, अखंड दीप की स्थापना, धान्य रोपण सब शामिल होता है। नवरात्र के दौरान पूरे भारत के मंदिरों में मां दुर्गा के नौ रुपों पूजा-अर्चना की जाती है। देवी के आगे जलने वाला दीपक पाप के शमन का प्रतीक होता है।

माता की प्रिय वस्तु

  • नवरात्र पूजन के दौरान माता के चरणों में उनकी प्रिय वस्तु नियमानुसार चढ़ाएं। माता भगवती को सबसे प्रिय है-नारियल। इसलिए मां के चरणों में नारियल अर्पण करना न भूलें। नौ देवियों को लाल रंग की चीजें बेहद पसंद हैं यथा- लाल वस्त्र, रोली, लाल चंदन, सिंदूर, लाल चुनरी या साड़ी, आभूषण या खाने की ऐसी वस्तु जिसका रंग लाल हो।

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