अश्रुतपूर्वा II
नई दिल्ली। समालोचक डॉ. माधव हाड़ा को बिहारी पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। केके बिरला फाउंडेशन ने 29 सितंबर को एक बयान में बताया कि डॉ. हाड़ा को हिंदी में प्रकाशित उनकी आलोचना कृति ‘पचरंग चोला पहर सखी री’ के लिए 2022 के बिहारी पुरस्कार से सम्मानित किया जा रहा है। उनकी यह पुस्तक 2015 में प्रकाशित हुई थी।
केके बिड़ला फाउंडेशन के मुताबिक, 1991 में शुरू किया गया यह पुरस्कार सिर्फ राजस्थान के ऐसे लेखकों को दिया जाता है जो या तो सात साल से राजस्थान में रह रहे हों या फिर राज्य के मूल निवासी हों और देश के किसी भी हिस्से में रह रहे हों। यह पुरस्कार हर साल हिंदी या राजस्थानी भाषा में प्रकाशित कृति के लिए दिया जाता है। पिछले साल यह पुरस्कार मधु कांकड़िया को दिया गया था।
यह पुरस्कार सिर्फ राजस्थान के ऐसे लेखकों को दिया जाता है जो या तो सात साल से राजस्थान में रह रहे हों या फिर राज्य के मूल निवासी हों और देश के किसी भी हिस्से में रह रहे हों। यह पुरस्कार हर साल हिंदी या राजस्थानी भाषा में प्रकाशित कृति के लिए दिया जाता है। पिछले साल यह पुरस्कार मधु कांकड़िया को दिया गया था।
फाउंडेशन के बयान के मुताबिक, 1958 में जन्में डॉ हाड़ा को पुरस्कार स्वरूप ढाई लाख रुपए और एक ताम्रफलक दिया जाएगा। उदयपुर के मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग के प्रोफेसर रह चुके डॉ हाड़ा ने साहित्य, मीडिया, संस्कृति और इतिहास पर विस्तार से लिखा है। उन्हें मीडिया अध्ययन के लिए भारतेंदु हरिश्चंद्र पुरस्कार और साहित्यिक आलोचना के लिए देवराज उपाध्याय पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।
इससे पहले कई साहित्यकार इस पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुके हैं। इनमें विजयदान देथा, नंद चतुर्वेदी, नंद किशोर आचार्य, प्रभा खेतान, अलका सरागवी, यशवंत व्यास, गिरधर राठी, ओम थानवी और मनीषा कुल्श्रेष्ठ के नाम उल्लेखनीय हैं।