अश्रुतपूर्वा II
मशहूर अभिानेत्री आशा पारेख को भारतीय सिनेमा के सबसे बड़े सम्मान दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में उनको यह प्रतिष्ठित पुरस्कार प्रदान किया। इस मौके पर अभिनेत्री ने कहा कि वे अपने 80वें जन्मदिन से एक दिन पहले यह पुरस्कार पाकर धन्य महसूस कर रही हैं। दादा साहब फाल्के पुरस्कार पाना बहुत सम्मान की बात है। मेरे 80वें जन्मदिन से ठीक एक दिन पहले मुझे यह सम्मान मिला, इसके लिए मैं आभारी हूं।
हिंदी सिनेमा की भावप्रवण अभिनेत्रियों में से एक आशा पारेख ने कहा, भारत सरकार की ओर से मुझे मिला यब सबसे अच्छा सम्मान है। मैं निर्णायक मंडल को इस सम्मान के लिए धन्यवाद देना चाहती हूं। अभिनेत्री ने कहा कि वे 60 साल बाद भी फिल्मों से जुड़ी हुई हैं। आशा पारेख ने कहा, हमारा फिल्म जगत सबसे अच्छी जगह है। और मैं यहां युवाओं को दृढ़ता, दृढ़ संकल्प, अनुशासन और जमीन से जुड़े रहने का सुझाव देना चाहती हूं।
इस अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि आशा पारेख को दिया गया यह पुरस्कार ‘अदम्य नारी शक्ति’ के लिए भी सम्मान है। मुर्मू ने कहा, मैं 68वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार के सभी विजेताओं को बधाई देती हूं। दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित की गई आशा पारेख जी को विशेष रूप से बधाई देती हूं। उनकी पीढ़ी की हमारी बहनों ने कई बाधाओं के बावजूद कई क्षेत्रों में अपनी पहचान बनाई।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि आशा पारेख को दिया गया यह पुरस्कार ‘अदम्य नारी शक्ति’ के लिए भी सम्मान है। मुर्मू ने कहा, मैं 68वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार के सभी विजेताओं को बधाई देती हूं। दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित की गई आशा पारेख जी को विशेष रूप से बधाई देती हूं।
उल्लेखनीय है कि दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से संबंधित पांच सदस्यीय चयन समिति ने आशा पारेख का चयन किया। इस समिति में आशा भोंसले, हेमा मालिनी, पूनम ढिल्लों, उदित नारायण और टीएस नागरण शामिल हैं।
इस मौके पर सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि आशा पारेख ने कई महिलाओं को उनके सपनों को पूरा करने के लिए प्रेरित किया। देविका रानी 1969 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार की पहली विजेता थीं। और आज इससे आशा पारेख को सम्मानित किया जा रहा है, जिन्होंने दशकों तक न केवल भारतीय बल्कि वैश्विक दर्शकों का मनोरंजन किया। वे भारतीय संस्कृति को दुनिया के कोने-कोने तक ले गईं।
बता दें कि आशा पारेख 1998-2001 तक केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड की पहली महिला अध्यक्ष भी रह चुकी हैं। साल 2017 में उन्होंने अपनी आत्मकथा हिट गर्ल पेश की, जिसके सह-लेखक फिल्म समीक्षक खालिद मोहम्मद थे। उन्हें 1992 में देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्मश्री से सम्मानित किया जा चुका है। 1960-1970 के दशक में पारेख की प्रसिद्धि उस दौर के बड़े अभिनेता राजेश खन्ना, राजेंद्र कुमार और मनोज कुमार के बराबर थी। (यह प्रस्तुति मीडिया की खबरों पर आधारित)