अश्रुत तत्क्षण

मानव के क्रमिक विकास पर अनुसंधान के लिए स्वीडन के वैज्ञानिक को नोबेल

अश्रुतपूर्वा II

नई दिल्ली। स्टाकहोम से इस साल नोबेल पुरस्कार देने की पहली खबर आई है। चिकित्सा के क्षेत्र में इस साल का नोबेल मानव के क्रमिक विकास पर खोज के लिए स्वीडन के वैज्ञानिक स्वैंते पैबो को देने का एलान किया गया है। पुरस्कार समिति का कहना कि स्वैंते की इस खोज ने हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली पर और हमें मानव की विलुप्त प्रजातियों की तुलना में अनूठा बनाने वाले कारकों पर गहरी अंतरदृष्टि दी है। 

चिकित्सा के क्षेत्र में नोबेल विजेता के चयन के साथ नोबेल पुरस्कारों की घोषणा की शुरूआत हो गई है। पुरस्कार के रूप में विजेता को करीब एक करोड़ स्वीडिश क्रोना (करीब नौ लाख डॉलर) दिए जाएंगे।

नोबेल पुरस्कार कमेटी के सचिव थॉमस पर्लमैन ने स्टाकहोम के कैरोलिंस्का इंस्टीट्यूट में विजेता के नाम का एलान किया। पैबो (67) ने आधुनिक मानव की उससे काफी मिलती-जुलती विलुप्त प्रजातियों निएंडरथल एवं डेनिसोवंस के जीनोम की तुलना करने के लिए नई तकनीक विकसित करने में अनुसंधानकर्ताओं की अगुआई की। जैसे आप अतीत के बारे में पता लगाने के लिए पुरातात्विक खुदाई करते हैं, ठीक वैसे ही हम मानव जीनोम में खोज करते हैं।

निएंडरथल की अस्थियां 19वीं सदी के मध्य में खोजी गई थीं। उसके डीएनए की संरचना का पता लगाने से यह सफलता मिली। इस उपलब्धि को जीवन का कोड के तौर पर जाना जाता है। इस तरह, प्रजातियों के बीच संबंध को पूरी तरह से समझ पाने में वैज्ञानिक सफल रहे।

नोबेल कमेटी की अध्यक्ष एना वेडेल ने कहा कि इसमें करीब आठ लाख साल पहले का वह समय शामिल है, जब आधुनिक मानव और निएंडरथल एक प्रजाति के रूप में अलग-अलग हुए। उन्होंने कहा कि स्वैंते पैबो और उनकी टीम ने यह भी पाया कि जीन प्रवाह निएंडरथल से होमो सैपियंस में हुआ। उनकी खोज में यह पता चला कि सह-अस्तित्व की अवधि के दौरान उन्होंने साथ मिल कर संतान को जन्म दिया होगा।

पैबो के पिता सुने बेर्गस्ट्रॉम को भी 1982 में चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार मिला था। नोबेल फाउंडेशन के मुताबिक, यह आठवां मौका है जब किसी नोबेल पुरस्कार विजेता के बेटा या बेटी को यह पुरस्कार मिला है। सिर्फ एक बार ऐसा हुआ, जब पिता-पुत्र दोनों ने नोबेल पुरस्कार साझा किया। ऐसा 1915 में हुआ था, जब सर विलियम हेनरी ब्रैग और उनके बेटे विलियम लारेंस ब्रैग को एक साथ भौतिकी का नोबेल पुरस्कार मिला था। 

स्वैंते पैबो ने पुरस्कार दिलाने वाला अपना यह अनुसंधान जर्मनी के म्यूनिख विश्वविद्यालय और लेपजीग के मैक्स प्लांक इंस्टीट्यूट फार इवोल्यूशनरी एंथ्रोपोलॉजी में किया। पैबो के पिता सुने बेर्गस्ट्रॉम को 1982 में चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार मिला था। 

नोबेल फाउंडेशन के मुताबिक, यह आठवां मौका है जब किसी नोबेल पुरस्कार विजेता के बेटा या बेटी को यह पुरस्कार मिला है। सिर्फ एक बार ऐसा हुआ, जब पिता-पुत्र दोनों ने नोबेल पुरस्कार साझा किया। ऐसा 1915 में हुआ था, जब सर विलियम हेनरी ब्रैग और उनके बेटे विलियम लारेंस ब्रैग को एक साथ भौतिकी का नोबेल पुरस्कार मिला था।

चिकित्सा जगत से जुड़े वैज्ञानिकों ने इस साल के लिए नोबेल कमेटी की घोषणा की सराहना की है। हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में जीन विज्ञानी डेविड रीच ने कहा कि डीएनए को हजारों बरसों तक संरक्षित रखे जा सकने और उसकी जानकारी हासिल करने के तौर तरीके विकसित करने को मान्यता दिए जाने के साथ पैबो तथा उनकी टीम ने हमारे अतीत के बारे में सवालों का जवाब देने का पूरी तरह से एक नया तरीका ईजाद किया है। उन्होंने कहा कि यह मानव की विभिन्नता एवं मानव इतिहास के बारे में हमारी समझ को पूरी तरह से नया रूप देता है। (यह प्रस्तुति मीडिया की खबरों पर आधारित)

About the author

Ashrut Purva

error: Content is protected !!